18 दिसंबर। समाजवादी समागम द्वारा हिंद मजदूर सभा मुख्यालय दिल्ली में एचएमएस के महामंत्री हरभजन सिंह सिद्धू की अध्यक्षता में ‘महात्मा गांधी और समाजवाद’ विषय पर संगोष्ठी का आयोजन किया गया।
संगोष्ठी को संबोधित करते हुए गांधीवादी चिंतक, लेखक एवं वरिष्ठ पत्रकार अरविंद मोहन ने कहा कि गांधीजी ने 1917 से 1947 के बीच जन आंदोलन के माध्यम से देश को स्वतंत्रता दिलाने की ऐतिहासिक सफलता हासिल की। उन्होंने कहा कि जिस समय महिलाएं घरों से नहीं निकला करती थीं, उस दौर में उन्होंने 20 हजार से अधिक महिलाओं को एकजुट करके अंग्रेजों को चुनौती दी। खादी, सांप्रदायिक सौहार्द और अछूत उद्धार उनके उल्लेखनीय कार्यक्रम रहे, जिन्होंने पूरे समाज पर असर डाला। गांधीजी ने खुद को कभी भी समाजवादी नहीं कहा लेकिन समाजवादी के तौर पर और समाजवादी दृष्टि के साथ जीवन जिया। उन्होंने कहा कि डा लोहिया की सप्तक्रांति और गांधीजी के 10 व्रतों में साम्य देखा जा सकता है।
अरविंद मोहन ने कहा कि गांधीजी के जीवन से जुड़े विभिन्न आयामों पर उन्होंने कई किताबें लिखी हैं लेकिन बहुत कुछ अध्ययन करना बाकी है। उन्होंने गांधीजी के जीवन से जुड़े अनेक प्रश्नों के उत्तर भी दिए। कार्यक्रम का संचालन समाजवादी समागम के महामंत्री अरुण श्रीवास्तव ने किया।
कार्यक्रम के दूसरे सत्र में सुरेंद्र मोहन जी के योगदान को लेकर चर्चा हुई।
प्रोफेसर राजकुमार जैन ने समाजवादी आंदोलन में सुरेंद्र मोहन के महत्त्वपूर्ण योगदान, जनता पार्टी और जनता दल के गठन तथा कार्यकर्ताओं को हर स्तर पर मदद करने की भूमिका का उल्लेख किया। सुभाष भटनागर ने निर्माण मजदूरों के लिए बने केंद्रीय कानूनों के निर्माण में, एनडी पंचोली ने मानव अधिकारों के क्षेत्र में, अमर सिंह ने राष्ट्र सेवा दल के विस्तार के लिए, महेंद्र शर्मा ने हिंद मजदूर सभा के नीति सिद्धांतों को लेकर, एसएस नेहरा ने मोदीनगर मजदूर आंदोलन, हरियाणा एचएमएस के अध्यक्ष एवं पश्चिम बंगाल एचएमएस के सचिव पुनीत सिंह ने विभिन्न आंदोलनों में योगदान को लेकर विचार साझा किए।
हरभजन सिंह सिद्धू ने अध्यक्षीय भाषण देते हुए बताया कि किस तरह सुरेंद्र मोहन जी एचएमएस द्वारा चलाए गए आंदोलनों में सक्रिय भागीदारी किया करते थे तथा उन्होंने कब कब और किस तरह से सरकार से संवाद कर मजदूरों को उनका हक दिलाए।
डॉ सुनीलम ने मुलताई किसान आंदोलन में और कार्यकर्ता निर्माण में सुरेन्द्र मोहन की अहम भूमिका रेखांकित करते हुए दूसरे सत्र का संचालन किया।
कार्यक्रम के दौरान वरिष्ठ समाजवादी नेता एवं समाजवादी चिंतक श्यामसुंदर पसरीचा जी को परिवार का सदस्य बतलाते हुए मंजू मोहन ने उनके व्यक्तित्व और कृतित्व पर प्रकाश डाला। मौन रखकर श्यामसुंदर पसरीचा जी को भावभीनी श्रद्धांजलि दी गई।
– अरुण श्रीवास्तव