23 दिसंबर। देश भर की लगभग 27 लाख आँगनबाड़ी कार्यकर्ता और सहायिकाएं केन्द्र सरकार से न्यूनतम पारश्रमिक नहीं दिये जाने और छत्तीसगढ़ सरकार के चुनावी वादाखिलाफी से आक्रोशित हैं। आँगनबाड़ी कार्यकर्ता सहायिका संयुक्त मंच छत्तीसगढ़ के मुख्य प्रान्तीय पदाधिकारियों ने 16 दिसम्बर को रायपुर में प्रेसवार्ता में बताया कि आँगनबाड़ी कार्यकर्ताओं के सात प्रमुख संघ पहली बार एकजुट होकर 23 जनवरी 2023 से सभी आँगनबाड़ी केंद्रों में ताला लटकाकर सड़क पर उतरेंगी।
प्रेस वार्ता में नेतृत्व ने कहा कि काम की बात आती है, तो केंद्र व राज्य दोनो सरकारें एक हो जाती हैं और दबाव से काम लेती हैं, लेकिन उचित पारिश्रमिक देने की बात आती है, तो दोनों सरकारें एक-दूसरे के ऊपर दोष मढ़ती हैं। इससे यही साबित होता है, कि महिला सशक्तीकरण की बातें खोखली हैं। न्यूनतम मानदेय स्वीकृत करने, समय पर वेतन देने, पेंशन, पदोन्नति देने की सुविधा के लिए सरकारें गंभीर नहीं हैं। आँगनबाड़ी कार्यकर्ताओं व सहायिकाओं को जीने लायक वेतन भी नहीं मिल रहा है। कार्यकर्ता को 4500 रुपये केन्द्र और 2000 रुपये राज्यांश से कुल 6500 रुपये और सहायिका को 2250 रुपये केन्द्र से तथा 1000 रुपये राज्यांश कुल 3250 रुपये का मानदेय मिल रहा है। उसमें भी राज्यांश की राशि 4-5 माह में एक बार रोक-रोक कर दी जा रही है। इसी तरह अन्य स्वत्व ईंधन राशि, मातृत्व वंदना, यात्रा भत्ता इत्यादि समय पर नहीं दिया जाना अत्यन्त गंभीर बात है।
पदाधिकारियों ने आरोप लगाया, कि महिला बाल विकास के नीचे से ऊपर तक के अधिकारी समस्याओं का समाधान करने की बजाय कार्यकर्ता-सहायिकाओं को छोटी-छोटी बातों में सेवा से निकाले जाने की धमकी, संसाधन नहीं होने के बाद भी कार्य करने का दबाव देना, मोबाइल नेट चार्ज नहीं है। उसके बाद भी दबाव देकर बंधुआ मजदूर की तरह कार्य लिया जाना, भयादोहन कर आँगनबाड़ी कार्यकर्ता सहायिकाओं को आर्थिक व मानसिक रूप से प्रताड़ित किया जा रहा है। उक्त मुद्दों को लेकर प्रदेश की एक लाख आँगनबाड़ी कार्यकर्ता-सहायिका काफी आक्रोशित हैं, और सरकार को इस बात से कई बार अवगत कराया जा चुका है। सरकार को वार्त्ता के माध्यम से माँगों के निराकरण हेतु 22 जनवरी 2023 तक का समय दिया गया है। इसके बाद भी माँगें पूरी नहीं होने पर 23 जनवरी 2023 से 5 दिन तक रायपुर राजधानी मुख्यालय में सभी जिलों से कार्यकर्ता-सहायिका बड़ी संख्या में इकट्ठा होंगी। उसके बाद इसे अनिश्चितकालीन हड़ताल में तब्दील करते हुए सभी जिला मुख्यालयों पर धरना देंगी।
(‘मेहनतकश’ से साभार)