जनता पार्टी के अंत समय,खेले गए दांवपेच – भाग -12

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— प्रोफेसर राजकुमार जैन —

श्रीमती इंदिरा गांधी ने शर्त रखी थी कि जनता(एस) किसी भी शर्त पर जनता पार्टी में पुनः शामिल नहीं होगी, चाहे दोहरी सदस्यता का सवाल हल भी हो जाए।

उधर बाबू जगजीवन राम ने घोषणा की कि वह कांग्रेस आई के समर्थन से चौ. चरणसिंह सरकार को हटाने को तैयार हैं।

इधर राजनारायणजी संजय गांधी से गुप्त मुलाकात कर रहे थे कि चौ. चरणसिंह की सरकार बनी रहे,

क्योंकि जगजीवन रामजी ने कांग्रेस से तालमेल के लिए अपने दूत डॉ. एन. तिवारी को संजय गांधी से मिलने के लिए भेजा था।

20 अगस्त को सदन में बहुमत सिद्ध करना था।

श्रीमती इन्दिरा गांधी ने, जनता पार्टी की सरकार को तोड़ने के लिए चौ. चरणसिंह का समर्थन किया था।

उनकी रणनीति थी कि बाद में चौ. चरणसिंह की सरकार गिरा देंगे। तब मध्यवर्ती चुनाव के अलावा और कोई उपाय नहीं होगा।

कांग्रेस पार्टी ने घोषणा कर दी कि वे विश्वास प्रस्ताव पर चौ. चरणसिंह के पक्ष में मतदान नहीं करेंगे।

20 अगस्त को सदन में बहुमत सिद्ध करने से पहले ही चौ. चरणसिंह ने इस्तीफ़ा दे दिया।

अन्य किसी भी नेता ने प्रधानमंत्री पद पर दावा पेश नहीं किया, क्योंकि किसी के पास भी आवश्यक संख्या बल नहीं था।

इसके साथ ही जनता पार्टी का पटाक्षेप हो गया।

(जारी है)

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