16 जनवरी। देश में मजदूरों की आत्महत्या के मामलों तेजी से बढ़ोत्तरी हुई है। लोकसभा में गृह राज्यमंत्री नित्यानंद राय द्वारा पेश राष्ट्रीय अपराध रिकार्ड ब्यूरो(एनसीआरबी) के आँकड़ों के मुताबिक, पूरे देश में वर्ष 2021और 2022 में आत्महत्या के 1,64,033 मामले दर्ज किए गए। प्रतिदिन औसतन 115 दिहाड़ी मजदूरों और 63 गृहणियों ने आत्महत्या की। एनसीआरबी के आँकड़ों के मुताबिक, वर्ष 2021 में 23179 गृहणियों, 15870 पेशेवर/वेतनभोगी व्यक्तियों, 1898 सरकारी सेवकों, निजी क्षेत्र के उद्यमों से जुड़े 11431 लोगों, सार्वजिनक क्षेत्र के उपक्रमों से जुड़े 2541 कर्मियों ने आत्महत्या की। सरकार द्वारा लोकसभा में पेश किये गए आँकड़ों के अनुसार, विगत वर्ष 13089 छात्रों, 13714 बेरोजगार व्यक्तियों, 4532 फुटकर कारोबारियों, 3633 दस्तकारों और कृषि क्षेत्र के 10881 लोगों ने आत्महत्या की।
सरकारी आँकड़ों के अनुसार, वर्ष 2021 में 5318 किसानों ने आत्महत्या की। वहीं अपेक्षाकृत विकसित राज्यों में भी आत्महत्या की घटनाओं में बेतहाशा वृद्धि हो रही है। 2021 में आत्महत्या के 3206 मामले दर्ज किये गए। जो कि उससे पहले के वर्ष के मुकाबले 452 ज्यादा है। वहीं गुजरात में दिहाड़ी मजदूरों की आत्महत्या दर में हर साल इजाफा हो रहा है। 2017 में प्रतिदिन 6 दिहाड़ी मजदूर आत्महत्या करते थे, जो 2021 में बढ़कर 9 आत्महत्या प्रतिदिन हुआ। गुजरात के दलित नेता जिग्नेश मेवाणी ने ट्वीट कर कहा, कि अनियमित रोजगार, जरूरत से कम वेतन तथा मजदूरों की आर्थिक और सामाजिक सुरक्षा का अभाव आत्महत्या के प्रमुख कारण हैं।