23 जनवरी। देश में फैक्ट्रियों में काम के दौरान होने वाले हादसों के संबंध में एक हैरान करने वाला आँकड़ा सामने आया है। सरकारी आँकड़ों के अनुसार, भारतीय कारखानों में हर दिन 3 मजदूरों की मौत होती है। श्रम और रोजगार मंत्रालय के महानिदेशालय फैक्ट्री सलाह सेवा और श्रम संस्थान(DGFASLI) द्वारा जारी आँकड़ों के मुताबिक, भारत की पंजीकृत फैक्ट्रियों में दुर्घटनाओं के कारण हर दिन औसतन तीन मजदूरों की मौत होती है, और 11 घायल होते हैं। नवंबर 2022 में इंडिया स्पेंड ने DGFASLI में सूचना के अधिकार(आरटीआई) के तहत प्राप्त आँकड़ों को जारी किया है, और इस पर एक विस्तृत रिपोर्ट जारी की है। आरटीआई जवाब के अनुसार, भारत में रजिस्टर्ड फैक्ट्रियों में हर साल होने वाली दुर्घटनाओं में 1,109 वर्करों की मौत हो गई और 4,000 से अधिक वर्कर घायल हुए। ये 2017 से 2020 के बीच के आँकड़ों के आधार पर है।
वहीं विशेषज्ञों का मानना है कि यह संख्या और भी ज्यादा है, क्योंकि बड़े पैमाने पर असंगठित क्षेत्रों में होने वाले हादसों की रिपोर्ट दर्ज ही नहीं की जाती है। 2018 और 2020 के बीच कम से कम 3,331 वर्करों की मौतें दर्ज की गईं, लेकिन इन आँकड़ों से पता चलता है कि इसी अवधि के दौरान केवल 14 लोगों को फैक्ट्री अधिनियम-1948 के तहत अपराधों के लिए सजा मिली। चार साल से 2020 तक हर साल पंजीकृत फैक्ट्रियों में औसतन 1,109 मौतें हुईं और 4,000 से अधिक मजदूर काम के दौरान घायल हुए। जारी आँकड़ों के अनुसार गुजरात में कारखानों के होने वाले हादसों में सबसे ज्यादा मौतें हुई हैं। साल 2019 में गुजरात में फैक्ट्रियों में 79 मजदूरों की मौत हुई है, वहीं 192 मजदूर गंभीर रूप से घायल हुए हैं।