— विवेक मेहता —
चाय के ठीये पर बैठकर अखबार के पन्ने पलटते हुए ज्ञान बधारने का जो आनंद है, वह व्हाट्सएप यूनिवर्सिटीज की कक्षा में बैठकर मैसेज फॉरवर्ड करने में नहीं है।
वक्त की मार देखिए- चाय के ठीये पर बहस फोकटियों का काम हो गया और बिना पढ़े, बिना समझे ट्वीट्स फॉरवर्ड करना दो रुपए की कमाई देने लगा। मैं आदत से मजबूर। कभी-कभी मन बहलाने के लिए चाय के ठीये पर जाकर बैठ जाता। वहां पर लोगों की बातों के मजा ले लेता हूं। उस दिन भी अखबार हाथ में लिये बैठा अपने दोस्तों का इंतजार कर रहा था कि दूसरे ग्रुप में से आवाज आई- ‘अब अदानी की रोज की कमाई 1002 करोड़ रुपए की हो गई।
इधर आमदनी का औसत है चवन्नी का
उधर करोड़ों में मोदीजी के दोस्तों की कमाई है।’
कहने वाले ने अदम गोंडवी का शेर अपने हिसाब से बदलकर चिपका दिया।
‘होगी क्यों नहीं! उनका प्राइवेट पोर्ट, दो नंबर के माल की निकासी का जरिया जो बन गया है।’ – दूसरे ने कहा।
‘क्यों कांग्रेसी जैसी बात कर रहे हो। अदानी कंपनी ने बयान देकर स्थिति साफ तो कर दी है- वे पोर्ट का ऑपरेशन संभालते हैं। कंटेनर के अंदर क्या माल आ रहा है, यह संभालना सरकारी एजेंसियों का काम है।’ – पहला बोला।
‘क्यों बेइज्जती कर रहा है बेचारे की। इसकी बात में तो वजन है। कांग्रेसियों की बात तो लोग हवा में उड़ा देते हैं चाहे वे सच बोले तो भी, और साहेब झूठ बोले तो भी उनकी बात को सिर माथे पर चढ़ा लेते हैं।’ – तीसरा बोला।
‘क्या मासूम जवाब था, अडानी का! 1002 करोड़ रोज का कमाने का!! कमाई कुछ ऐसे ही नहीं होती।’ – दूसरे ने जवाब दिया।
‘फिर कैसे?’- पहला ने सवाल किया।
‘खुद सोचो। अदानी का पहले काम था चिमन भाई के दो नंबर का हिसाब संभालना। वे अचानक हार्ड अटैक से मर गए और सारा पैसा हजम हो गया। फिर केशुभाई, सुरेश भाई, नरेंद्र भाई का काम संभालते रहे। जितनी उनकी कमाई, उतनी इनकी हिस्सेदारी। उधर टोकन अमाउंट पर मुंद्रा की जमीन मिल गई। लोगों को डरा धमका कर रेलवे लाइन के लिए उनकी जमीनें सस्ते भाव पर खरीद ली। अब पांचों उंगलियां घी में और सिर कढ़ाई में।’- तीसरा बोला।
‘छोड़ो भी, वे पुरानी बातें। अभी तो ड्रग्स की बात हो रही थी। अदानी पोर्ट से 40 किलोमीटर दूर, दूसरा बड़ा बंदरगाह है- कांडला पोर्ट। कुछ सालों से वहां विकास नहीं हो रहा। इन दिनों उसका धंधा मंदा हो गया। अदानी पोर्ट का बढ़ गया। विदेशी सिगरेट, लाल चंदन, ड्रग्स सभी मुंद्रा में पकड़ी जा रही है। जितनी पकड़ी जा रही है उससे ज्यादा तो बाहर निकल रही है। कांडला से तस्करी का माल क्यों नहीं बाहर जाता?’ – दूसरा बोला।
सब चुपचाप उसकी ओर देखते रहे। दूसरे ने भी अपना भाव बढ़ाने के लिए चाय का गिलास उठाया। चुस्की लगाई और चुप्पी तोड़ी। बोला-‘सब पैसे की माया है। कांडला बंदर पर सीआईएसएफ सुरक्षा के लिए नियुक्त हैं और प्राइवेट बंदर पर सुरक्षा की पर्याप्त व्यवस्था भी नहीं है। कांडला को तो कंटेनर पोर्ट की तरह से विकसित नहीं होने दिया। कस्टम के अनुभवी व्यक्तियों स्थान पर नए नौसीखिए अदानी की कृपा से वहां नियुक्ति पाते हैं। फिर ऐसा तो होगा ही!’
‘हां कितनी विडंबना है! 14 सितंबर को जब माल पकड़ने की पहली खबर आई थी तब ध्यान दिया था? तभी लग रहा था लीपापोती हो जाएगी।’- तीसरा बोला।
मेरा ध्यान अब अखबार से हट, उनकी बातों पर ही था।
‘ध्यान नहीं आ रहा, क्या हुआ था?’- पहला बोला।
‘पहले दिन खबर थी कि कंटेनर में से कुछ पैकेट हटाने के बाद अंदर हीरोइन के दो पैकेट मिले। बाकी में हेरोइन, टेलकम पाउडर में मिक्स हो सकती है। फिर अगले रोज खबर आयी पाउडर में से हेरोइन अलग करना मुश्किल काम है। इसलिए अंदाजा नहीं लग पा रहा कि हेरोइन की कितनी मात्रा है। और थोड़े दिनों बाद सारे के सारे पैकेट, दोनों कंटेनर के हेरोइन में बदल गए।2988 किलो। लगता है कोई सेटिंग नहीं बैठी या एक दो माथे भारी अफसर जांच में लग गए।’- तीसरा बोला।
‘कहते हैं, जून में कंटेनर के द्वारा आई पूरी की पूरी खेप निकल गई। बिना किसी की निगरानी में आए। उसे जमीन खा गई या आसमान निगल गया, मालूम नहीं पड़ा। नई पीढ़ी को पूरी तरह से तबाह करने पर जूटी है यह सूट-बूट की सरकार।’- दूसरा बोला।
‘अब इसमें सूट-बूट की सरकार कहां से आ गई?’- पहले ने प्रश्न किया।
‘कांडला का धंधा मंदा पड़ा क्योंकि वहां चेकिंग ज्यादा है। मुंद्रा में तो अदानी की सरकार या सरकार के अडानी ….। जांच में समय कम लगता है। लोडिंग-अनलोडिंग जल्दी हो जाती है। बिचौलिए जो सैंपल देते हैं, उसी की जांच कर ली जाती है। कोई परेशान करे तो उसका तबादला करवा दिया जाता है। 21 हजार करोड़ का माल बिना हिस्सा लिए तो निकलेगा नहीं।’- दूसरे ने कहा।
‘हां, अहमदाबाद की एनडीपीसी की कोर्ट ने भी तो अदानी के बारे में जांच का आदेश दिया है।’- तीसरा बोला।
‘कौन करेगा जांच? सरकारी एजेंसी ही और सरकार…..’- पहला हंस दिया।
इतने में दूसरे का फोन बज उठा। वह बात करते-करते उठ खड़ा हुआ। मैं विचारों में पड़ गया। माल यहां से श्रीलंका भी जाना था अब तो श्रीलंका का पोर्ट भी अडानी ने खरीद लिया है।