12 फरवरी। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ और उसके आनुषंगिक संगठनों ने देश में एक ऐसी राजनीति शुरू की है जिसने देश की संघीय एकता, संविधान की मान्यता और धार्मिक एवं जातीय सहिष्णुता को गहरे संकट में डाल दिया है। हमें भाषा के मामले में भी दरिद्र बना दिया है। समाज को गालीबाज़ बना दिया है। सांप्रदायिक राजनीति का सबसे बड़ा खतरा पूरे हिंदू समाज को है। संस्कृति, धर्म और राष्ट्रवाद के खोल में छिपे आरएसएस को आज एक्सपोज करने की जरूरत है। आरएसएस की दुष्प्रचार सेना के मुकाबले आज सत्यसेना की जरूरत है जो निडरता से अपने सत्य को ताकतवर तरीके से बोले।
उक्त विचार इंदौर में डॉ राममनोहर लोहिया सामाजिक समिति द्वारा आयोजित ओमप्रकाश रावल स्मृति व्याख्यान में राजस्थान के वरिष्ठ पत्रकार और एक्टिविस्ट भंवर मेघवंशी ने व्यक्त किए ।
संघ परिवार की सांप्रदायिक राजनीति के खतरे विषय पर व्याख्यान देते हुए श्री मेघवंशी ने कहा कि आज सारे लोकतांत्रिक संस्थान नष्ट किए जा रहे हैं। न्यायपालिका, विधायिका, कार्यपालिका और मीडिया की गरिमा गिरा दी गई है। चेक एंड बैलेंस जैसा कुछ बचा नहीं है। जैसा संघ में सरसंघचालक का एकछत्र राज है वैसी ही तानाशाही निर्वाचित लोगों में भी दिख रही है। लोकतंत्र में संस्थाओं का क्षरण लोकतंत्र का मरण बिंदु बन जाता है जो आज हो रहा है। संस्थानों पर कब्जा करना, संस्थाओं को बदनाम करना संघ का लक्ष्य बन गया है।
श्री मेघवंशी ने अपने विचारोत्तेजक उदबोधन में कहा कि इतिहास के पहले खंड की हास्यास्पद परियोजना से सदियों पहले के हारे हुए अथवा अनिर्णित युद्ध अब जीते जा रहे हैं। हर धर्म स्थल में अपने धर्म स्थल के अवशेष खोजे जा रहे हैं। आधुनिकता की ओर अग्रगामी हो सकने वाले देश को अतीतगामी बना दिया गया है। अतीत में सब स्वर्णिम था आज सब बेकार हो गया है।
आप ने विभिन्न घटनाओं का जिक्र करते हुए कहा कि गोली, गाली और माबलिचिंग तथा सामूहिक हिंसा की गतिविधियों से देश के सहिष्णु माने गए बहुसंख्यक समुदाय को आज असहिष्णु और हिंसक बना दिया है। भाषा और संस्कार की ऐसी दरिद्रता संभवत: हिंदू समुदाय में शायद ही कभी रही हो। लेकिन हमने उसे गालीबाज समाज बना दिया गया है श्री मेघवंशी ने कहा कि संघ परिवार की सांप्रदायिक राजनीति से राष्ट्र की एकता और अखंडता के लिए तो खतरा है ही साथ ही लोकतंत्र के लिए और संविधान के लिए भी बड़ा खतरा है। आपने कहा कि झूठ बोलना और उसे बार-बार बोलना संघ की नीति है। यहां आजादी, भाईचारा और बराबरी के मूल्यों के लिए संघ संप्रदाय की राजनीति बहुत बड़ा खतरा है। गांधी, लोहिया, आंबेडकर की वैचारिकी के लिए भी खतरा है।
आपने व्याख्यान के अंत में मेघवंशी ने उपस्थित प्रबुद्धजनों से आह्वान किया कि हमारा रास्ता अहिंसा का रास्ता है, प्रेम और भाईचारे का रास्ता है, बराबरी और न्याय का रास्ता है, लोकतंत्र और संविधान का रास्ता है, यह लोकायत और आजीवकों, महावीर, बुद्ध, कबीर, रैदास, गांधी, आंबेडकर, लोहिया और ओमप्रकाश रावल जी का रास्ता है। हम इस पर चलेंगे और उदारता जीतेगी कट्टरता हारेगी। यह देश और इसका भाईचारा जीतेगा।
कार्यक्रम की अध्यक्षता पूर्व सांसद कल्याण जैन ने की; विषय प्रवर्तन वरिष्ठ पत्रकार सुभाष रानाडे ने किया; अतिथि परिचय रामस्वरूप मंत्री ने कराया तथा संचालन शशिकांत गुप्ता ने किया. इस अवसर पर गांधीवादी विचारक अनिल त्रिवेदी ने भी संबोधित किया। अतिथि स्वागत जीवन मंडलेचा और मिलिंद रावल ने किया।
कार्यक्रम में चिन्मय मिश्र, आलोक खरे,अजय यादव, किशोर माहेश्वरी, अंचल सक्सेना, अवधेश यादव, मिंटू वाजपेयी, कमलेश परमार, रशीद अली, एमके चौधरी, दुर्गेश खवसे, दिनेश सिंह कुशवाह, बबलू जाधव, लाखनसिंह डाबी, जयप्रकाश गुगरी, दिनेश पुराणिक, हेमंत पन्हालकर, नरेंद्र सिंह बापना, विश्वास रावल, अंजुम पारेख, शफी शेख, प्रमोद नामदेव, संतोष वर्मा, अनिल निगम, इकबाल सिंह चौहान, अशफाक हुसैन, खालिद भाई मंसूरी, डॉ रमेश आर्य, हरनाम सिंह, विवेक मेहता, सरोज मिश्र, बलराम जाटव सहित बड़ी संख्या में राजनीतिक सामाजिक कार्यकर्ता, लेखक, पत्रकार आदि उपस्थित थे.
– रामस्वरूप मंत्री
सचिव, डॉ राम मनोहर लोहिया सामाजिक समिति, इंदौर
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