दुनियाभर में समुद्रस्तर में वृद्धि के सबसे बड़े खतरे में है मुंबई : डब्ल्यूएमओ

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समुद्र का बढ़ता स्तर भारत और बड़ी तटीय आबादी वाले अन्य देशों के लिए एक बड़ा खतरा है। विश्व मौसम विज्ञान संगठन (डब्लूएमओ) की रिपोर्ट के मुताबिक, मुंबई उन शहरों में से है जो सबसे ज्यादा प्रभावित होगा।

डब्लूएमओ के अनुसार समुद्र का स्तर 2013 से 2022 के बीच औसतन 4.5 मिलीमीटर हर साल बढ़ा, यह वह दर है जो कि 1901 से 1971 के बीच बढ़े स्तर से तीन गुना अधिक है। इसके कारण तटीय इलाकों में रहने वाली आबादी और पारिस्थितिक तंत्र को भारी खतरा है।

रिपोर्ट में कहा गया है कि समुद्र के स्तर में बदलाव से नीदरलैंड, बांग्लादेश, भारत और चीन जैसे देशों के लिए बड़ा खतरा है। कई बड़े शहरों को खतरा है जिसमें शंघाई, ढाका, बैंकॉक, जकार्ता, मुंबई, मापुटो, लागोस, काहिरा, लंदन, कोपेनहेगन, न्यूयॉर्क, लॉस एंजिल्स, ब्यूनस आयर्स और सैंटियागो शामिल हैं। यह एक बड़ी आर्थिक, सामाजिक और मानवीय चुनौती है।

रिपोर्ट के मुताबिक 20वीं सदी की शुरुआत से ही समुद्र के स्तर में वृद्धि का खतरा बढ़ रहा है। 1901 से 1971 के बीच समुद्र के स्तर में औसत वार्षिक वृद्धि 1.3 मिमी प्रतिवर्ष थी, जो 1971 और 2006 के बीच बढ़कर 1.9 मिमी प्रतिवर्ष और 2006 और 2018 के बीच 3.7 मिमी प्रतिवर्ष हो गई।

बढ़ते समुद्र का स्तर तटीय पारिस्थितिक तंत्र के क्षरण का कारण बनता है, तूफान और बाढ़ आने की घटनाओं में बढ़ोतरी होती है। यह नमक के साथ मिट्टी और भूजल के प्रदूषण को भी जन्म दे सकता है, जिससे खाद्य सुरक्षा पर भारी प्रभाव पड़ सकता है।

ग्लेशियर पिघल रहे हैं, पानी का तापमान बढ़ रहा है

रिपोर्ट में चेतावनी देते हुए कहा गया है कि अगले 2000 वर्षों में, यदि बढ़ता तापमान 1.5 डिग्री सेल्सियस तक सीमित रहता है तो दुनिया भर में समुद्र स्तर का 2 से 3 मीटर बढ़ जाएगा। वहीं अगर बढ़ता तापमान 2 डिग्री सेल्सियस तक सीमित रहता है तो समुद्र का स्तर 2 से 6 मीटर तक बढ़ जाएगा।

दुनिया भर में सबसे अधिक बर्फ वाली जगह अंटार्कटिका में इसके पिघलने की गति अनिश्चित है। शोधकर्ताओं ने कहा कि अंटार्कटिका के ग्लेशियरों के नीचे समुद्री जल की होने वाली घुसपैठ के कारण समुद्र के स्तर में बहुत अधिक वृद्धि का खतरा है, जैसा कि नासा ने अपने हालिया प्रकाशित अध्ययनों में भी बताया है।

संयुक्त राष्ट्र के अनुमान के मुताबिक, इस सदी के अंत तक दुनिया के तापमान में 2.4 से 2.6 डिग्री सेल्सियस की वृद्धि हो सकती है।

विशेषज्ञों ने चिंता जाहिर की है कि समुद्र के स्तर में लगातार और तेजी से वृद्धि तटीय बस्तियों और बुनियादी ढांचे को प्रभावित कर सकती है और निचले इलाकों के पारिस्थितिक तंत्र को जलमग्न और नुकसान पहुंचा सकती है।

सुरक्षा परिषद की ‘समुद्र स्तर में वृद्धि : अंतरराष्ट्रीय शांति और सुरक्षा के लिए निहितार्थ’ विषय पर अपने संबोधन के दौरान, संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरेस ने कहा, ग्रीनलैंड की बर्फ के हिस्से और भी तेजी से पिघल रहे हैं जिससे हर साल 2.70 करोड़ टन बर्फ का नुकसान हो रहा है।

रिपोर्ट में कहा गया है कि निचले तटीय शहरों और बस्तियों और छोटे द्वीपों में समुद्र के स्तर में हो रही वृद्धि और भूमि के घटने की वजह से सुरक्षा, आवास, अग्रिम और नियोजित स्थानांतरण और पारिस्थितिकी तंत्र आधारित संबंधी समस्याएं सामने आएंगी।

परिणाम खतरनाक हो सकते हैं

संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में समुद्र के स्तर में वृद्धि पर चर्चा के दौरान गुटेरेस ने हिमालय की नदी घाटियों में रहने वाले लाखों लोगों की सुरक्षा पर चिंता जताई। उन्होंने कहा, जैसे-जैसे ये ग्लेशियर आने वाले दशकों में कम होते जाएंगे, समय के साथ सिंधु, गंगा और ब्रह्मपुत्र नदियां सिकुड़ती जाएंगी। बढ़ते समुद्र के स्तर के साथ खारे पानी की घुसपैठ उनके विशाल डेल्टा के बड़े हिस्से को रहने लायक नहीं रखेगी।

गुटेरेस ने कहा कि हमें जलवायु संकट का समाधान करना चाहिए और असुरक्षा के मूल कारणों के बारे में अपनी समझ को व्यापक बनाना होगा।

– दयानिधि
(डाउन टु अर्थ से साभार)


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