27 फरवरी। अफगानिस्तान में तालिबानियों ने शासन पर कब्जा जमाने के बाद महिलाओं पर तमाम तरह की बंदिशें लगा दीं। यहाँ तक कि महिलाओं को पढ़ने से लेकर नौकरी करने तक पर पाबंदियां लगा दी गयी हैं, लेकिन अब अफगानिस्तान में महिलाओं के एक समूह ने अपने बुनियादी अधिकारों के लिए मोर्चा खोल दिया है। स्थानीय मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, अफगानिस्तानी महिलाएं शिक्षा, नौकरी पर लगे प्रतिबंध के खिलाफ सड़कों पर उतर चुकी हैं, और इन पाबंदियों से आजादी की माँग कर रही हैं। एक महिला आंदोलनकारी टोन्या सफी ने ‘सत्य समाचार’ के हवाले से बताया, कि आंदोलन का उद्देश्य नागरिकों के मूल अधिकारों की रक्षा करना है, विशेषरूप से महिलाओं के लिए, क्योंकि बुनियादी अधिकारों तक पहुँच नागरिकों के लिए एक महत्त्वपूर्ण आवश्यकता है।
महिला प्रदर्शनकारी सफी ने आगे बताया कि यह अभियान शुरू करने का सिर्फ एक ही मकसद है, कि महिलाओं के साथ अन्याय और भेदभाव न हो। सफी ने कहा, कि इस आंदोलन में छात्र, शिक्षक और कई पूर्व सरकारी कर्मचारी भी शामिल हैं, जिन्होंने महिलाओं के अधिकारों के लिए लड़ाई लड़ी है। उनका कहना है कि महिलाओं के योगदान से ही समाज आगे बढ़ सकता है। महिलाओं के प्रगति किये बिना समाज की प्रगति संभव नहीं है। वहीं संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरेस ने भी हाल के एक बयान में कहा कि युद्धग्रस्त अफगानिस्तान में महिलाएं अपने ही देश में निर्वासन में रह रही हैं। ऐसे में इसमें सुधार की जरूरत है, और लोगों को उनकी मूलभूत सुविधाएं मिलनी चाहिए।