27 मार्च। जहाँ एक तरफ देश भर में ओल्ड पेंशन स्कीम की बहाली को लेकर सरकारी कर्मचारियों का प्रदर्शन जारी है वहीं दूसरी तरफ केंद्र सरकार ने बीते 20 मार्च को एक आदेश जारी कर कर्मचारियों को किसी भी पेंशन स्कीम के विरोध में भाग लेने पर रोक लगा दी है। केंद्र सरकार के इस आदेश का आल इंडिया ट्रेड यूनियन कांग्रेस(एटक) ने विरोध किया है। यूनियन की तरफ से जारी प्रेस विज्ञप्ति के मुताबिक, एटक की अध्यक्ष अमरजीत कौर का कहना है कि केंद्र सरकार के सभी कर्मचारियों, अर्धसैनिक बलों, राज्य सरकार के कर्मचारियों और शिक्षकों के लिए भाजपा सरकार द्वारा 2003 में शुरू की गई नई पेंशन योजना(एनपीएस) के खिलाफ एटक देशव्यापी आंदोलन में जुटी है।
उन्होंने आगे कहा कि सरकारी कर्मचारियों की भावनाओं का सम्मान करने के बजाय सरकार उनके प्रति कठोर रवैया अपना रही है। एटक की अध्यक्ष अमरजीत कौर ने मीडिया के हवाले से बताया कि कर्मचारियों को इस अन्याय और भेदभाव के खिलाफ संघर्ष करने का पूरा अधिकार है। लेकिन मोदी सरकार ने बीते 20 मार्च को एक आदेश जारी कर एक बार फिर कर्मचारियों के प्रति अपना क्रूर चेहरा दिखाया है, जिसमें कर्मचारियों को किसी भी एनपीएस के विरोध में भाग लेने की अनुमति नहीं है।
सरकार द्वारा जारी आदेश में नई पेंशन स्कीम के विरोध के आंदोलन में शामिल होने की स्थिति में गंभीर परिणाम भुगतने की चेतावनी दी गई है। यूनियन का कहना है कि केंद्र सरकार का यह आदेश विशेष रूप से भेदभावपूर्ण है, क्योंकि सरकार बड़े पैमाने पर कॉर्पोरेट करों को कम कर रही है। हाल ही में जब महाराष्ट्र में राज्य सरकार के कर्मचारी हड़ताल पर गए, तो भाजपा सरकार ने उन्हें ओपीएस देने के सवाल पर विचार करने के लिए एक समिति गठित करने का आश्वासन दिया है।
(‘वर्कर्स यूनिटी’ से साभार)
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