प्रधानमंत्री मोदी और गृहमंत्री अमित शाह के नाम एक खुला खत

0


— डॉ सुरेश खैरनार —

भारत की जांच एजेंसी सीबीआई के साठ साल पूरे होने के उपलक्ष्य में, माननीय प्रधानमंत्री जी, आपने सीबीआई को बहुत ही महत्त्वपूर्ण संदेश दिया कि “भ्रष्ट व्यक्ति कितना भी ताकतवर हो, बख्शा नहीं जाए!” मैं आपके इस संदेश का हृदय से स्वागत करता हूँ ! आपने कहा कि “लोकतंत्र और न्याय की राह में भ्रष्टाचार सबसे बड़ी बाधा है।” मैं शत-प्रतिशत सहमत हूँ !

मैंने अपने राजनीतिक जीवन की शुरुआत ही 1973 में, अपनी पढ़ाई खत्म करने के बाद, आपके गृहराज्य गुजरात में उठे एक आंदोलन के प्रभाव में की थी। तब गुजरात में मोरबी के ‘सरदार पटेल इंजीनियरिंग कालेज’ के छात्रों ने अपने मेस के खाने की एक रुपये थाली की कीमत बढ़ाकर सवा रुपये (मात्र 25 पैसे की वृद्धि) किये जाने के खिलाफ आंदोलन शुरू किया था। उस आंदोलन से प्रभावित होकर हमने भी महाराष्ट्र के अमरावती में कुछ वैसी ही कोशिश की थी।

गुजरात के उसी आंदोलन के कारण राज्य के तत्कालीन मुख्यमंत्री चिमनभाई पटेल की सरकार को इस्तीफा देना पड़ा, और भारत के इतिहास में पहली बार किसी आंदोलन के बाद हुए चुनाव में जनता सरकार नाम की सरकार का गठन हुआ ! (1975 ) जिसके मुख्यमंत्री श्री बाबूभाई पटेल बनाए गए थे !

उसके बाद बिहार में भी भ्रष्टाचार के खिलाफ विद्यार्थियों ने आंदोलन की शुरुआत की। बाद में जयप्रकाश नारायण से बहुत अनुरोध, और उनकी शर्तों को मानने का भरोसा दिलाए जाने के बाद, उनके मार्गदर्शन में बिहार आंदोलन शुरू हुआ था।

फिर उसके बाद 25 जून 1975 को आपातकाल की घोषणा! आपातकाल के 19 महीनों के दरमियान विरोधियों को जेल में बंद करने के कृत्य का मैं भी भुक्तभोगी रहा हूँ। आपातकाल हटने के बाद लोकसभा के चुनाव हुए जिसमें कांग्रेस की भारी पराजय हुई। जनता पार्टी की सरकार मई 1977 में बनी थी। जयप्रकाश नारायण भारत के इतिहास में पहली बार किसी सरकार के शपथग्रहण समारोह में शामिल हुए थे। यह शपथग्रहण दिल्ली में महात्मा गाँधी के समाधि स्थल राजघाट के प्रांगण में हुआ था। लेकिन वह सरकार बीस महीने भी नहीं चल पाई थी ! मैं यह सिर्फ 1980 तक, सात साल तक का हिसाब-किताब बता रहा हूँ ! क्योंकि 1973 में मेरी उम्र महज बीस साल की थी और उस दौरान की गतिविधियों में हम गिलहरी जैसी भूमिका में थे! जनता पार्टी की सरकार का पतन किन-किन कारणों से हुआ इस तफसील में नहीं जा रहा हूँ क्योंकि वह अलग लेख का विषय है। उस पर फिर कभी अवश्य लिखने की कोशिश करूंगा।

बहरहाल, प्रधानमंत्री जी, आपने सीबीआई को यह संदेश देकर बहुत बड़ी आशा जगा दी है कि “भ्रष्ट व्यक्ति कितना भी ताकतवर हो, बख्शा नहीं जाएगा।” क्योंकि नए साल की शुरुआत में ही भारत के नंबर एक उद्योगपति (गौतम अदानी उद्योग समूह) के बारे में एक रिपोर्ट जारी हुई। 14 जनवरी 2023 को जारी की गयी हिंडनबर्ग रिपोर्ट ने अडानी उद्योग समूह के बारे में बहुत महत्त्वपूर्ण और झकझोर देने वाले खुलासे किये हैं।

अडानी की कंपनी 1988 में पहली बार अहमदाबाद के स्टॉकएक्सेंज में रजिस्टर्ड हुई थी। मतलब आज से पच्चीस साल पहले की कंपनी, विश्व में तीसरे स्थान पर और एशिया तथा भारत में पहले स्थान पर पहुँच गयी ! इसके हैरतअंगेज तेज के सफर के बारे में जिस कंपनी ने खुलासा किया वह खुद भी अमेरिका के स्टॉक एक्सचेंज में काम करती है ! पर यह समय-समय पर जांच करने का काम भी करती है। तो 14 जनवरी 2023 को सार्वजनिक हुई हिंडनबर्ग रिपोर्ट में अदानी के शेयरों की कीमतें झूठमूठ के बढ़ाने के साथ कुछ और भी आर्थिक हेराफेरी के आरोप लगाए गए हैं ! जबकि शेयर बाजार के ऊपर निगरानी रखने के लिए जनता की जेब के पैसे से ही सेबी नाम की एजेंसी का गठन किया गया है और यह सेबी की नाक के नीचे हुआ है। आज इस बात को लगभग चार महीने होने जा रहे हैं।

विश्व के मीडिया से लेकर भारत की संसद तक में यह मामला उठाया गया। संसद की कार्यवाही के रिकॉर्ड से अडानी संबंधित चर्चा को हटाने का फैसला किसके इशारे पर लिया गया? और प्रधानमंत्री जी, आपने अपने एक घंटे से भी अधिक समय के भाषण में एक बार भी अदानी का नाम नहीं लिया ! उलटे आपने “नेहरू सरनेम क्यों नहीं लगाते?”, “मेरे पीछे 140 करोड लोगों की ताकत है !” और “मैं अकेला सब पर भारी हूँ !” जैसे बातें कीं ! लेकिन इस रिपोर्ट की जांच-पड़ताल करने की आवश्यकता है, ऐसा एक बार भी क्यों नहीं कहा? यह बात रह-रहकर मेरे जेहन में आ रही थी!

लेकिन प्रधानमंत्री जी, सीबीआई के साठ साल के उपलक्ष्य में दिए गए आपके भाषण से मेरा आत्मविश्वास पुन: वापस लौटा है ! इसलिए मैं पूछना चाहता हूँ कि सीबीआई सिर्फ विपक्ष के नेताओं के खिलाफ ही कार्रवाई क्यों कर रही है।भाजपा के जिन नेताओं पर भ्रष्टाचार के आरोप हैं उन पर कार्रवाई क्यों नहीं हो रही है?

हिंडेनबर्ग रिपोर्ट अगर गलत है तो उसके खिलाफ कार्रवाई की जानी चाहिए। और अगर हिंडेनबर्ग रिपोर्ट में लगाए गए आरोप सही हैं तो फिर गौतम अदानी और उनके बड़े भाई के खिलाफ कार्रवाई की शुरुआत की जानी चाहिए ! चार महीनों से पूरी दुनिया में हमारे देश की सरकार और हमारे देश के सबसे बड़े उद्योगपति, अपने जवाब में हिंडनबर्ग रिपोर्ट को भारत के ऊपर हमला कह रहे हैं। यह बहुत ही गंभीर बात है ! हमारे देश की छवि खराब करने के प्रयास अगर कोई व्यक्ति या समूह करे, फिर वह देश का हो या विदेश का, तो उस पर कार्रवाई क्यों नहीं हो रही है?

और हमारे देश के सबसे बड़े सभागृह संसद को आपके अपने ही दल के सदस्य क्यों नहीं चलने दे रहे हैं? अगर विरोधी दलों के नेताओं ने मांग की है कि “संसद की संयुक्त जांच समिति का गठन करके इस मामले में जांच की जाए” तो आपको किस बात की आपत्ति है? विरोधी दलों के सदस्य भ्रष्टाचार की ही जांच करने की तो मांग कर रहे हैं ! अगर सीबीआई को आप यह संदेश देते हैं कि भ्रष्ट व्यक्ति कितना भी ताकतवर हो, बख्शा नहीं जाए, तो क्या अडानी की भी जॉंच होगी?

उधर बिहार में, हाल ही में रामनवमी के दौरान जो दंगे हुए , उन्हें देखते हुए हमारे देश के गृहमंत्री अमित शाह जी, आपने तुरंत पहुँचकर दंगाइयों को उलटा टांगने का ऐलान कर दिया है ! मैं आपकी भी बात का हृदय से स्वागत करता हूँ ! क्योंकि मेरे जीवन के सबसे महत्त्वपूर्ण साल, 1990 से अभी तक (24 अक्तूबर 1989 के भागलपुर के दंगों के बाद !) सांप्रदायिकता के खिलाफ काम करने में ही बीते हैं!

तो बिहार के दंगाइयों को उलटा टांगने की, अमित शाह जी, आपकी बात सुनकर बहुत आशा जगी है कि आपको दंगों की राजनीति बिल्कुल पसंद नहीं है ! लेकिन मैं कुछ पसोपेश में पड़ गया हूँ क्योंकि पिछले साल के आखिर में गुजरात में विधानसभा चुनाव प्रचार करते हुए एक सभा में उन्होंने यह भी कहा था कि “दंगे चिरशांति के लिए आवश्यक होते हैं!” दंगों में भाग लेने वाले व्यक्ति की बेटी को बीजेपी की तरफ से उम्मीदवार बनाया गया था ! और वह बहुत बड़ी संख्या में वोट लेकर आज विधायक बनी बैठी है ! इसलिए अमित शाह जी, आपकी कौन-सी बात को मानूं?

गुजरात दंगे में बिल्किस बानो के साथ गैंगरेप और उसकी ऑंखों के सामने उसकी तीन साल की बच्ची और परिवार के अन्य सदस्यों की हत्या करने वाले लोगों को, गुजरात सरकार ने पंद्रह अगस्त 2022 के दिन, अमृत महोत्सव वर्ष की सहूलियत में, जेल से रिहा करने का निर्णय किया। केंद्रीय गृहमंत्रालय की इजाजत के बगैर यह हो नहीं सकता था ! फिर आप किस मुँह से दंगाइयों को उलटा टांगने की बात करते हैं !

इसी रामनवमी के दौरान गुजरात के वडोदरा में भी दंगा हुआ ! इसी तरह आपकी पार्टी के शासन वाले अन्य राज्यों महाराष्ट्र के संभाजीनगर (औरंगाबाद) तथा उत्तर प्रदेश के मथुरा में एक युवक अपने हाथ में भगवा झंडा फहराते हुए काफी देर तक मस्जिद के सामने खड़ा है और पुलिस तमाशबीनों की तरह खड़ी है। अमित भाई साहब, आपको क्या यह सब पता है, या आप एकदम अनजान हैं?

सबसे सीधी बात, आपने और आपके राजनीतिक दल ने अपना आज का राजनीतिक मुकाम क्या करके हासिल किया है?

अभी कर्नाटक के चुनाव में बीजेपी यह राग अलाप रही है: “टीपू सुलतान को वोट देना है या राम को?” कहाँ त्रेता युग के राम, और कहाँ दो सौ साल पहले के टीपू सुलतान ! वर्तमान सरकार को चालीस पर्सेंट की सरकार, सरकारी ठेकेदार संघ, के अनुसार बोला जाता है ! दूसरी तरफ प्रधानमंत्री जी, आप सीबीआई को भ्रष्टाचार के मामले में किसी को भी न बख्शने का संदेश देते हैं! कर्नाटक के पूर्व मुख्यमंत्री और भाजपा के वरिष्ठ नेता येदियुरप्पा को भ्रष्टाचार के आरोपों में ही जेल में जाना पड़ा था ! और वह वर्तमान चुनाव में पार्टी का नेतृत्व कर रहे हैं ! वैसे ही बंगाल, बिहार, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, राजस्थान तथा अन्य लगभग सभी प्रदेशों में भ्रष्टाचार के आरोपों से घिरे हुए लोगों ने बीजेपी में प्रवेश किया है ! क्या वह बीजेपी में शामिल होने के बाद तुरंत ही भ्रष्टाचार से मुक्त हो गए? जैसे कि कोई वॉशिंग मशिन लगा रखी है?

चाहे सीबीआई को प्रधानमंत्री मोदी जी, आपका संदेश हो, या दंगाइयों को उलटा टांगने का गृहमंत्री अमित शाह जी, आपका बयान, कथनी और करनी के परस्पर विपरीत होने की ही मिसाल है!

Leave a Comment