14 अप्रैल। संयुक्त किसान मोर्चा ने अनाज की गुणवत्ता के बहाने गेहूँ की खरीद-कीमत को घटाने के केंद्र सरकार के फैसले की कड़ी निंदा की है और इसे किसानों पर मोदी सरकार का नवीनतम हमला करार दिया है। यह सर्वविदित है कि जलवायु परिवर्तन और असामयिक बारिश के कारण इस साल फसल खराब हुई है। हालांकि सरकार अब इस प्राकृतिक आपदा के लिए, अनाज के खरीद मूल्य में 31.87 रुपये प्रति क्विंटल तक कटौती करके, किसानों को दंडित करने का प्रयास कर रही है।
संयुक्त किसान मोर्चा ने कहा है कि गुणवत्ता के बहाने गेहूँ के खरीद मूल्य को कम करने का केंद्र सरकार का निर्णय किसानों को धोखा देने और उन्हें उनके सही मेहनताना से वंचित करने के अलावा कुछ भी नहीं है। इससे पहले, सरकार ने खरीद को कम करने के लिए खरीद मात्रा पर सीमा का इस्तेमाल किया था। अब सरकार गुणवत्ता के बहाने खरीद को कम करने की कोशिश कर रही है, जो पूरी तरह से अनुचित है। ये कृषि-विरोधी नीतियां स्पष्ट रूप से ऐतिहासिक किसान आंदोलन, जिसके कारण पीएम को लोक-शक्ति के आगे झुकना पड़ा था, के लिए किसानों के खिलाफ एक प्रतिशोध है।
संयुक्त किसान मोर्चा (एसकेएम) ने एक बार फिर अपनी यह मॉंग दोहराई है कि फसल के हर दाने को न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर खरीदा जाए। एसकेएम गुणवत्ता के आधार पर खरीद में किसी भी कटौती को बर्दाश्त नहीं करेगा, क्योंकि जलवायु परिवर्तन के कारण गुणवत्ता में कमी-बेशी किसानों की गलती नहीं है। एसकेएम ने केंद्र सरकार को चेतावनी दी है कि वह तुरंत मूल्य-कटौती के इस परिपत्र वापस ले और पिछले वर्षों की तरह एमएसपी पर पूर्ण खरीद करे।
एसकेएम ने 18 अप्रैल को केंद्र सरकार की इस अत्याचारी किसान-विरोधी नीति के खिलाफ एक राष्ट्रव्यापी विरोध का आह्वान किया है। यदि सरकार इस परिपत्र को वापस नहीं लेती है, तो विरोध प्रदर्शन और तेज होंगे।