30 अप्रैल। नयी दिल्ली में कांस्टीट्यूशन क्लब के एनेक्सी सभागार में मधु लिमये जन्मशती समापन समारोह घोषित कार्यक्रम के मुताबिक संपन्न हुआ। समारोह में सैकड़ों की संख्या में समाजवादी कार्यकर्ता और बुद्धिजीवी शामिल हुए। दिल्ली-एनसीआर के बाहर से यानी दूसरे राज्यों से भी कुछ लोग आए थे।
समारोह तीन हिस्सों में संपन्न हुआ। पहला हिस्सा विदुषी कलापिनी कोमकली (पं कुमार गंधर्व) के कबीर गायन का था। उनके गायन के बाद मधु लिमये के सहयोगी रहे समाजवादी साथियों को प्रशस्ति-पत्र और अंगवस्त्रम देकर सम्मानित किया गया। इनमें जी.जी.परीख, रावीरा सोमैया, अनिरुद्ध लिमये, विजयनारायण सिंह, राजनीति प्रसाद, कल्याण जैन, जसपाल सिंह दुग्गल, जयवंत रामचंद्र भोसले, पंडित रामकिशन शामिल हैं। जी जी परीख और रावीरा सोमैया की अनुपस्थिति में उनकी ओर से प्रशस्ति पत्र तथा अंगवस्त्रम क्रमशः डा सुनीलम और गोपाल सिंह ने ग्रहण किया। रमाशंकर सिंह ने अभिनंदन पत्रों का वाचन किया तथा विभिन्न वरिष्ठ विशिष्ट व्यक्तियों के द्वारा अभिनंदन पत्र और अंगवस्त्रम अर्पित किये गए।
समारोह का तीसरा हिस्सा मधु स्मृति सभा का था, जो जम्मू कश्मीर के पूर्व राज्यपाल सत्यपाल मलिक की अध्यक्षता में हुआ। आरंभ में डा आनंद कुमार ने आयोजन की प्रस्तावना पेश की और सबका स्वागत किया। इस सत्र में बोलते हुए मूर्धन्य साहित्यकार व रज़ा फाउंडेशन के अध्यक्ष अशोक वाजपेयी ने राजनीति, लोकतंत्र, बुद्धिशीलता, संस्कृति के विभिन्न संदर्भों में मधु लिमये की शख्सियत का बखान किया। उन्होंने इस पर बेहद अफसोस जाहिर किया कि आज राजनीति पूरी तरह नीतिशून्य होकर सत्ता की हवस में बदल गयी है।
अशोक वाजपेयी के बाद वक्ताओं में राजनेताओं का क्रम शुरू हुआ तो समाजवादियों व कम्युनिस्टों को साथ आने की अपील से लेकर 2024 के मद्देनजर विपक्षी एकता की जरूरत भाषणों में छायी रही। माकपा के महासचिव सीताराम येचुरी, भाकपा माले के महासचिव दीपांकर भट्टाचार्य, पूर्व सांसद एवं जनता दल (यू) के प्रमुख महासचिव केसी त्यागी, कांग्रेस के पूर्व सांसद संदीप दीक्षित, बसपा के सांसद दानिश अली, भाकपा के सचिव अज़ीज़ पाशा, इन सभी ने कहा कि मधु लिमये आरएसएस के खतरे से देश को बराबर आगाह करते रहे थे। मधु जी की आशंका सच साबित हुई, सत्ता पर काबिज संघ परिवार अपने फासीवादी एजेंडे को पूरा करने तथा लोकतंत्र व संविधान को नष्ट करने में जुटा हुआ है। इसके खिलाफ सारी प्रगतिशील शक्तियों को एकजुट होना होगा, यही मधु जी के प्रति सच्ची श्रद्धांजलि होगी। मधु स्मृति सभा में हिंदुस्तान टाइम्स के पूर्व संपादक शुभव्रत भट्टाचार्य ने भी विचार व्यक्त किये।
अंत में सभा के अध्यक्ष के तौर पर बोलते हुए सत्यपाल मलिक ने बताया कि मधु लिमये संसदीय नियम-कायदों के कितने गहरे जानकर थे; उनसे बहुत कुछ सीखने को मिला। मलिक ने कहा कि हमारे सिस्टम में जो जो अच्छाई थी उन सबको धीरे धीरे खत्म किया जा रहा है। हरेक लोकतांत्रिक संस्था सुनियोजित रूप से नष्ट की जा रही है। यह इमरजेंसी से भी बुरा वक्त है। 2024 में इससे छुटकारा पाने का एक मौका है, विपक्ष की तरह हर जगह केवल एक उम्मीदवार हो तो भाजपा की तय की जा सकती है।
इस मौके पर समाजवादी अंग्रेजी पत्रिका ‘जनता वीकली’ के मधु लिमये स्मृति अंक का लोकार्पण भी किया गया। सभा का संचालन प्रो जयंत तोमर ने किया।
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