14 मई। झारखंड के खूंटी जिले में एक खामोश क्रांति चल रही है। जिससे यहाँ की छोटी-छोटी नदियों में तपती हुई गर्मी के बीच भी पानी है। सैकड़ों गाँवों में जलस्रोतों में पर्याप्त पानी है। खेतों की सिंचाई, मवेशियों के चारा-पानी, नहाने-धोने के लिए पानी की कमी नहीं है। सूखती नदियों, प्राकृतिक नालों तथा जलस्रोतों को विगत पाँच वर्षों से चल रहे एक सामुदायिक अभियान ने नई जिंदगी दी है। स्थानीय ग्रामीण, जिला प्रशासन, जनप्रतिनिधि तथा जनसेवा वेलफेयर सोसायटी नामक संस्था के संयुक्त प्रयास से इस पुनीत कार्य को एक नया आयाम मिला है। इस अभियान के तहत नदियों, नालों पर जगह-जगह बालू की बोरियों से बांध बनाकर बेकार बह जाने वाले पानी को रोका जा रहा है।
300 से भी ज्यादा जगहों पर लोगों ने श्रमदान से बांध बनाए हैं। इस अभियान की बदौलत इलाके की नदियों से बालू के अवैध उत्खनन पर रोक लगी है। श्रमदान के लिए एकसाथ सैकड़ों लोगों के जुटने से सामुदायिकता की भावना मजबूत हुई है, और इसके जरिए कई दूसरी समस्याओं के समाधान की राह भी निकलने लगी है। इस अभियान से ताल्लुक रखने वाले सुनील ठाकुर ने मीडिया के हवाले से बताया कि 350 से ज्यादा गाँवों को पानी बचाने के लिए जागरूक किया गया है। जिस गाँव में बोरी बांध बनाना होता है, वहाँ ग्राम सभा की सहमति ली जाती है। इसके बाद तय तिथि को सारे लोग मिलकर बांध बनाते हैं। फिर खिचड़ी भोज का आयोजन होता है। गौरतलब है कि भारत सरकार के जल शक्ति मंत्रालय ने इस अभियान को वर्ष 2020 में राष्ट्रीय जल शक्ति पुरस्कार के लिए चुना था।
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