19 मई। मध्यप्रदेश के नरसिंहपुर जिले में नर्मदा नदी पर चिनकी बैराज के निर्माण का काम शुरू हो गया है। बैराज जहाँ बन रहा है, वहाँ आदिवासियों की जमीन पर डूब के अलावा एक दूसरा खतरा भी है। आदिवासियों को लगता है, उनकी जमीन अगर बच भी गई तो किसी काम की नहीं रहेगी और शायद वे कभी उसपर खेती न कर पाएं। इसकी वजह है। बैराज बनाने वाली कंपनी जिसने इन आदिवासियों की जमीन किराए पर ली थी, इसपर बड़ी-बड़ी मशीनों से खुदाई कर डाली। आदिवासियों कहना है, उनकी जमीन को कंपनी ने खेती के लायक नहीं छोड़ा है। जमीनें अब इतनी खोदी जा चुकी हैं, कि वहाँ कोई खेती नहीं हो पाएगी।
निर्माणकर्ता कंपनी ने उनकी ये जमीनें औने पौने दामों में किराए पर ली थीं, और अब आदिवासियों को डर सता रहा है कि साल भर के लिए अनाज पानी की व्यवस्था भी नहीं हो पाएगी। करीब सवा लाख हैक्टेयर में सिंचाई करने वाले चिनकी बैराज से कई किसानों के लिए विकास के रास्ते खुलेंगे, लेकिन बहुत से लोगों की जिंदगी में इससे अंधेरा छा रहा है। मध्यप्रदेश और गुजरात के बीच चल रहे नर्मदा जल के विवाद के लिए मध्यप्रदेश पानी का एक निश्चित मात्रा में इस्तेमाल कर सकेगा पर बैराज के लिए कई आदिवासी किसानों और सीमांत किसानों की डूब में आ रही जमीन उनके भविष्य को चौपट कर देगी। यह डर उन आदिवासियों को सता रहा है, जिनकी जमीन नर्मदा के एकदम किनारे है और उसी के आधार पर वह जीवन बसर करते हैं।
(‘देशगाँव’ से साभार)