अनैतिकता से त्रस्त दुनिया के लिए एकेडेमी ऑफ एथिक्स एक वरदान साबित होगी – डॉ जरनैल सिंह आनंद

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7 जून। आज़ाद फाउंडेशन की तरफ से इंटरनेशनल एकेडेमी ऑफ एथिक्स स्थापित की गई है। इसे 20 देशों के 60 से ज्यादा विद्वानों की उपस्थिति में लांच किया गया। इस अकादमी के संस्थापक अध्यक्ष डा जरनैल सिंह आनंद हैं और सर्बिया की महान साहित्यकार डा माया हरमन सेकुलीच उपाध्यक्ष हैं। स्थापना दिवस के अपने संबोधन में डा आनंद ने सभी साहित्यकारों को बौद्धिक शीतनिद्रा से बाहर आकर समाज की बेहतरी के बारे में सोचने का आह्वान किया।

डा आनंद ने ज़ोर देते हुए कहा कि जरूरी है कि हर क्लास में एथिक्स का विषय लाज़मी हो। उन्होंने अकादमी की तरफ से बच्चों के लिए एक नई एथिकल अल्फाबेट भी जारी की, जो अकादमी की वेबसाइट पर उपलब्ध है। उन्होंने इस ऑपरेशनको इ फॉर एथिक्स का नाम दिया है। हर बचे को ये सीखना ज़रूरी है के इ फॉर एलीफैंट तो होता है, लेकिन इफॉर एथिक्स भी होता है। बल्कि इ फॉर एथिक्स ही पढ़ाया जाए। अकादमी की तरफ से स्कूलों, कॉलजों, शिक्षाविदों के नाम एक सर्कुलर भी जारी किया जिसमें पाठ्यक्रम में एथिक्स की पढ़ाई अनिवार्य करने पर ज़ोर दिया गया है।

समागम की शुरुआत प्रो रणधीर गौतम ने की। डा परनीत जग्गी ने होस्टिंग बाखूभी से निभाई। डा मौलीजोसफ कोआर्डिनेटर ने विषय की प्रस्तावना की। डा माया हरमन सेकुलिस ने अपने संक्षिप्त वक्तव्य में आर्टिफीसियल इंटेलिजेंस के खतरों से अवगत कराया। मुख्य वक्ता रावले जेम्स ने ज़िंदगी में अच्छे बुरे में एक बैलेंस बनाकर चलने का आह्वान किया। डॉ स्वराज राज ने साहित्य और एथिक्स को लेकर गंभीर चिंता व्यक्त करते हुए कई प्रश्न उठाए कि साहित्य में एथिक्स का क्या स्थान है? डॉ वासुदेव चक्रवर्ती मुख्य मेहमान थे। उन्होंने कहा कि बदलते समय में एथिक्स में मायने भी बदलते रहते हैं। और उन्होंने बेन्थैम एलियट और टेस्स का ज़िक्र करते हुए समझ और एथिक्स के रिश्ते पर अपने विचार वियक्त किये।

दूसरे चरण में प्रोग्राम को लयबद्ध प्रो मन्दाकिनी भट्टाचार्य ने किया और उन्होंने प्रख्यात साहित्यकार डा हरीश नारंग को आमंत्रित किया। संक्षेप में उन्होंने आज के युग की एथिकल विसंगतियों का ज़िक्र किया और बताया कि साहित्कारों को इनसे लड़ना होगा। श्री अरिदम रॉय ने मीडिया और एथिक्स को लेकर वक्तव्य दिया और कहा कि मीडिया मनुष्य के मन को मैनेज करता है। डा ललितमोहन शर्मा ने बीत चुके समय की एथिकल आभा का ज़िक्र किया तो विनोद खन्ना ने फैमिली को एथिकल लाइफ का शीट एंकर बताया। जॉर्डन के कवि निज़ार सरतावी ने कहा कि पोएट्री में शक्ति है कि वो विश्व समाज में आ रही विसंगतियों का सामना कर सके। डा दलविंदर सिंह ग्रेवाल प्रोफेसर एमरिटस ने टीचर की भूमिका पर सवाल उठाए और वापस लौटने को कहा जब एजुकेशन एक मिशन हुआ करती थी। इटली की कवयित्री डाक्लॉडिअ पीसीनो ने भी कविता और एथिक्स को लेकर अपने विचार प्रस्तुत किये।

धन्यवाद प्रस्ताव प्रोफेसर परनीत जग्गी की तरफ से प्रस्तुत किया गया। पांच घंटे चले इस महा समागम में 20 देशों से तक़रीबन 60 साहित्यकारों ने हिस्सा लिय। इस प्रोग्राम के चीफ एडवाइजर श्री हिम्मत सिंह आईपीएस, श्री भगीरथ चौधरी, डा कुलभूषण राजदान, श्री राज बाबू गंधम के लावा बहुत से अंतरराष्ट्रीय मेहमान भी शामिल थे। डा आनंद ने सभी का शुक्रिया अदा करते हुए कहा कि बहुत जल्दी भारत में या बेलग्रेड में अंतरराष्ट्रीय अकादमी का गठन किया जाएगा। उन्होंने अपना सपना भी साझा किया के वो एक यूनिवर्सिटी ऑफ एथिक्स बनाना चाहते हैं जिसके लिए लाइक माइंडेड इन्वेस्टर्स की तलाश की जा रही है। भारत के लिए ही नहीं, विश्व के लिए ये पहली यूनिवर्सिटी होगी जो एथिक्स के विषय को लेकर संजीदगी से काम करेगी। नैतिक मूल्यों की गिरावट का सामना कर रही इस दुनिया के लिए ये अकादमी एक वरदान बनकर सामने आएगी।

– डॉ रणधीर गौतम

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