10 जुलाई। लोकनायक जयप्रकाश नारायण द्वारा स्थापित मानवाधिकार संगठन पीयूसीएल (पीपुल्स यूनियन फॉर सिविल लिबर्टीज) ने नेशनल फेडरेशन आफ इंडियन वुमेन (एनएफआईडब्ल्यू) की राष्ट्रीय महासचिव एनी राजा, राष्ट्रीय सचिव निशा सिद्धू और एडवोकेट दीक्षा द्विवेदी के खिलाफ एफआईआर दर्ज किये जाने की कड़ी निंदा की है और इसे तुरंत वापस लेने की मॉंग की है। तीनों सम्मानित महिला नेताओं ने मणिपुर में तथ्य संकलन के लिए किये गए दौरे के समापन पर एक प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित किया था, जिसमें उन्होंने बताया कि मणिपुर की हिंसा राज्य प्रायोजित है।
तीन सदस्यों की इस तथ्यान्वेषी टीम ने इंफाल और मणिपुर के अन्य इलाकों का दौरा किया, समाज के विभिन्न तबकों और विभिन्न समुदायों से मुलाकात की और यह पाया कि दोनों तरफ के तरफ शांति बहाली चाहते हैं।
लेकिन विडम्बना यह है कि शांति बहाली की जनाकांक्षा को सामने लाने और तथ्यों को उजागर करने के प्रशंसनीय कार्य पर मणिपुर सरकार की प्रतिक्रिया स्तब्ध करने वाली है। मणिपुर सरकार ने इन सम्मानित महिला प्रतिनिधियों के खिलाफ काफी संगीन धाराओं में एफआईआर दर्ज की है जिनमें शामिल हैं धारा 121A (भारत या राज्य के खिलाफ युद्ध छेड़ने का षड्यंत्र करना), 124 A (राजद्रोह), 153/153-A/153-B (दंगा भड़काने की मंशा से विभिन्न समूहों के बीच वैमनस्य पैदा करना व राष्ट्रीय एकता को क्षति पहुंचाना), 499 (मानहानि), 504 एवं 505 (2) (शांति भंग के लिए अपमानित करना, झूठा बयान देना, अफवाह फैलाना, आदि)।
पीयूसीएल ने कहा है कि पुलिस कानून का उपयोग उन नागरिकों को डराने और धमकाने के लिए आतंक के एक औजार के रूप में कर रही है, जो अशांत क्षेत्रों में व्यक्तिगत दौरे के माध्यम से सच्चाई का पता लगाना चाहते हैं। इसमें शामिल विभिन्न हितधारकों और पार्टियों से मिलना और अपने निष्कर्षों को चर्चा के लिए सार्वजनिक जानकारी में लाना चाहते हैं।
पीयूसीएल ने भारत सरकार से माँग की है कि मानवाधिकार कार्य, अकादमिक लेखन और इस तरह की अन्य गतिविधियों के चलते किसी को अपराधी नहीं ठहराया जा सकता, और इस बारे में सभी राज्यों और पुलिस को सलाह जारी की जाए।
पीयूसीएल ने यह भी माँग की है कि मणिपुर सरकार सम्मानित महिला नेताओं के खिलाफ सभी आरोप तुरंत वापस ले और एनएफआईडब्ल्यू की तथ्यान्वेषी टीम के खिलाफ दर्ज एफआईआर रद्द करे। बंद कर वापस ले। हम मणिपुर सरकार से सीजेएम कोर्ट, इंफाल के समक्ष दायर आपराधिक शिकायत में हस्तक्षेप करने के लिए सभी आवश्यक कार्रवाई करने का भी आह्वान भी करते हैं, साथ ही हम आग्रह करते हैं, कि दोनों समुदायों के बीच शांति प्रक्रिया शुरू की जाए और राज्य हिंसा को समाप्त किया जाए।
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