15 जुलाई। मध्य प्रदेश के बुरहानपुर जिले के बरेला समुदाय से ताल्लुक रखने वाले आदिवासियों को वन अधिकार प्राप्त नहीं हैं, और इससे भी बुरी स्थिति यह है कि वन विभाग और स्थानीय प्रशासन ने अतिक्रमण और सरकारी आदेशों की जान-बूझकर अवज्ञा का हवाला देते हुए कई मामले दर्ज करके ग्रामीणों पर जुल्मी कार्रवाई की है। 50 वर्ष से अधिक समय क्षेत्र में रह चुके आदिवासियों का कहना है कि उनके खिलाफ किए गए अत्याचारों की सूची में सबसे हालिया उन मानवाधिकार रक्षकों के खिलाफ निर्वासन का आदेश है, जो क्षेत्र में सरकार से सक्रियता से सवाल कर रहे हैं।
जागृत आदिवासी दलित संगठन (जेएडीएस) से जुड़े कार्यकर्ता नितिन ने बताया, कि कुछ दिन पहले जब ग्रामीणों ने अपनी बेदखली का विरोध किया था, तो उन पर पैलेट-गन से गोलियां चलाई गई थीं। गोलीबारी में कम से कम चार लोग घायल हो गए थे। ग्रामीणों का आरोप है कि जिले में 10,000 से अधिक वन अधिकार के दावे लंबित हैं, जिनमें से कुछ अवैध रूप से बेदखल किए गए लोगों के भी हैं। राज्य की सबसे हालिया जुल्मी कार्रवाइयों में संगठन की माधुरी कृष्णास्वामी का निर्वासन है। कृष्णास्वामी, जो जिले में समुदाय और आंदोलनों को संगठित करने में सक्रिय रूप से शामिल रही हैं, पर अक्टूबर 2022 और जनवरी 2023 के बीच 21 वन अपराध के मामले दर्ज किए गए हैं।