22 जुलाई. शनिवार को वाराणसी में राजघाट स्थित सर्व सेवा संघ परिसर को पुलिस और प्रशासनिक अधिकारियों ने भारी पुलिस बल के साथ पहुंचकर जोर-जबरदस्ती से खाली कराकर कब्जे में ले लिया, इससे यह साफ हो गया है कि देश में अब गांधी, जेपी, विनोबा और लोहिया के विचारों से जुड़ी कोई भी संस्था और परिसर सुरक्षित नहीं है।
सर्व सेवा संघ की स्थापना गांधीजी के विचार को देश और दुनिया में फैलाने के उद्देश्य से की गई थी। इसी उद्देश्य की पूर्ति के लिए तत्कालीन रेलमंत्री लाल बहादुर शास्त्री के निर्देश पर रेलवे की भूमि सर्व सेवा संघ को बाकायदा बेची गई थी।
सर्व सेवा संघ ने राजघाट से गांधी, जेपी और विनोबा भावे जी के विचारों से जुड़ी 1500 किताबों का प्रकाशन किया है। यह भूमि रेलवे से सर्व सेवा संघ ने खरीदी थी, जिसकी रजिस्ट्री भी मौजूद है।
पहले वाराणसी कमिश्नर ने जेपी द्वारा स्थापित गांधी विद्या संस्थान पर पुलिस के माध्यम से अवैध कब्जा किया। जिसके खिलाफ गांधीवादियों और समाजवादियों द्वारा 62 दिन से लगातार सत्याग्रह चलाकर विरोध किया जा रहा था। केंद्र सरकार की कार्रवाई के विरोध में वाराणसी, दिल्ली और कल लखनऊ में लोकतंत्र बचाओ सम्मेलन किए गए। लेकिन सर्व सेवा संघ के परिसर पर प्रशासन ने कल जोर-जबरदस्ती से कब्जा कर लिया।
पुलिस कार्रवाई का विरोध करने पर सर्व सेवा संघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष चंदन पाल, गांधी-जेपी विरासत बचाओ संघर्ष समिति के अध्यक्ष रामधीरज, समाजवादी जन परिषद के राष्ट्रीय महामंत्री अफलातून समेत अनेक गांधीमार्गी कार्यकर्ताओं को गिरफ्तार कर लिया गया.
सर्व सेवा संघ द्वारा प्रकाशित हजारों किताबों को गांधी जी की मूर्ति के पास खुले आसमान के नीचे फेंक दिया गया है।
किसान संघर्ष समिति के अध्यक्ष, पूर्व विधायक डॉ सुनीलम ने मोदी-योगी सरकार की कायराना व गैरकानूनी कार्रवाई पर आक्रोश व्यक्त करते हुए परिसर से गिरफ्तार किए गए सभी आंदोलनकारी साथियों को तत्काल रिहा करने, परिसर को सर्व सेवा संघ को वापस सौंपने की मांग करते हुए कहा है कि सरकार की तानाशाहीपूर्ण एवं लोकतंत्र विरोधी कार्रवाई के खिलाफ प्रतिरोध जारी रहेगा।
उन्होंने विपक्षी पार्टियों के द्वारा ‘INDIA’ नाम से बनाए गए गठबंधन में शामिल सभी पार्टियों से अपील की है कि वे गांधी और जेपी की विरासत और सर्व सेवा संघ परिसर को बचाने के लिए आगे आएं।
जनता दल (यू) के प्रवक्ता एवं पूर्व सांसद केसी त्यागी ने सर्व सेवा संघ परिसर को जबरन खाली कराये जाने को गांधी और जेपी की विरासत पर सीधा हमला करार देते हुए कहा कि यह कार्रवाई घोर निंदनीय है. उन्होंने कहा कि अब देश में एक राष्ट्रीय सत्याग्रह का समय आ गया है.
युवा हल्लाबोल के राष्ट्रीय अध्यक्ष अनुपम ने ट्वीट कर कहा कि गाँधी विनोबा जयप्रकाश के विचार, विरासत और प्रतीकों को पुलिस की बूट से कुचला जा रहा है। सर्व सेवा संघ के वाराणसी परिसर में चल रहा सरकारी कुकृत्य पीड़ादायक है।
नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में यूपी की डबल इंजन सरकार स्वतंत्रता आंदोलन से निर्मित भारत के विचार पर सीधा हमला कर रही है। यह सिर्फ जमीन कब्जा करने भर का मामला नहीं, बल्कि गाँधी विचार के संस्थागत ढांचे को एक एक कर ध्वस्त करने की नापाक कोशिश है। इनका इरादा देश में आंदोलनों की संभावना को ठेस पहुँचना और संघर्षों के नैतिक आधार को कमज़ोर करने का भी है। मोदी सरकार के पापों की फेहरिस्त में यह एक और अध्याय है जिसका माकूल जवाब दिया जाएगा।
वरिष्ठ समाजवादी प्रोफेसर राजकुमार जैन ने कहा कि जिसकी आशंका थी आखिर वह होकर ही रहा। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ, मोदी सरकार इस मुल्क से गांधी की विरासत को हड़पने अथवा मिटाने पर सरेआम उतारू है। इसका सबसे ताजा उदाहरण बनारस के सर्व सेवा संघ के परिसर को, राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के पूर्णकालिक वैतनिक सदस्यों को सौंपना है। जुल्म ढाती इस घड़ी में हम हर तरह से इसकी मुखालफत करने वालों के साथ हैं।
जन आंदोलनों का राष्ट्रीय समन्वय की नेता मेधा पाटकर ने एक वीडियो संदेश में कहा कि हाईकोर्ट और सुप्रीम, दोनों ने सर्व सेवा संघ को निचली अदालत में जाने को कहा था. उस निर्देश का पालन करते हुए सर्व सेवा संघ ने निचली अदालत में याचिका दायर की. लिहाजा अदालत का फैसला आने तक प्रशासन को रुकना चाहिए था. लेकिन वैसा न करके और बेदखली के अदालती आदेश के बिना पुलिस कार्रवाई करके वाराणसी के प्रशासन ने यही जताया है कि उन्हें नियम कायदों की परवाह नहीं है, वे सत्ताधारी आकाओं को खुश करने के लिए किसी भी हद तक जा सकते हैं. गांधी, विनोबा, जेपी की विरासत पर हमले का प्रतिकार जारी रहेगा.
इसी तरह, बहुत से लोगों ने, वाट्सएप पर, फेसबुक और ट्विटर पर अपना विरोध और क्षोभ जाहिर किया है.