13 अगस्त। जमशेदपुर (झारखंड) के सीताराम डेरा स्थित आदिवासी एसोसिएशन हॉल में लोकतंत्र बचाओ समागम 150 से ज्यादा लोगों की भागीदारी के साथ सम्पन्न हुआ। इस समागम का आयोजन लोकतांंत्रिक राष्ट्र निर्माण अभियान, झारखंड जनाधिकार महासभा, डा. अम्बेडकर एससी एसटी ओबीसी माइनरिटी वेलफेयर समिति और साझा नागरिक मंच ने मिलकर किया था।
समागम के आधार पत्र में मौजूदा राजनीति, अर्थनीति और संस्कृति पर विस्तार से चर्चा की गयी थी। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ और भाजपा के मौजूदा शासन को फासीवादी और विनाशकारी बताया गया। समता, स्वतंत्रता, लोकतंत्र और धर्मनिरपेक्षता के लिए 2024 के संसदीय चुनाव में भाजपा को हराना प्राथमिक और अनिवार्य चुनौती के रूप में स्वीकार किया गया।
सोनाराम बोदरा, रवीन्द्र प्रसाद, सियाशरण शर्मा तथा मंथन के संचालन में चले समागम में दृष्टिपत्र को सर्वसम्मति से स्वीकार किया गया। दृष्टिपत्र में निष्कर्ष-सूत्र के रूप में कहा गया है : समय की माँग है कि मजदूर, किसान, दलित, आदिवासी, अल्पसंख्यक और महिला संगठन एकजुट हों।एक मंच से भाजपा हराओ लोकतंत्र बचाओ के नारे के साथ आगे बढ़ें। भाजपा की पराजय मात्र अधिकांश समस्याओं का हल नहीं है लेकिन उसकी पराजय से समाधान और परिवर्तन की दिशा में संघर्ष के रास्ते खुल सकते हैं, फैल सकते हैं।
मणिपुर एवं नूंह तथा बुलडोजर परिघटना पर प्रस्ताव पारित किया गया। मणिपुर की सरकार को बर्खास्त कर वहाँ सर्वदलीय सरकार बनाने तथा केन्द्रीय गृहमंत्री को हटाने की माँग की गयी। मणिपुर की त्रासद परिस्थिति को राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ और भाजपा के राज्यनियोजित साम्प्रदायिक आक्रमण का नतीजा माना गया। कहा गया कि संघी हिन्दुत्व और उसके साथ रची-बसी क्रोनी पूँजीवादी संहारी लूट की आदिवासी-विरोधी, अल्पसंख्यक विरोधी, स्त्री विरोधी अमानुषिकता मणिपुर में उजागर हुई है। बुलडोजर की नयी शासकीय संस्कृति के विरोध में पारित प्रस्ताव में कहा गया कि कुछ असहमत और विरोधी आवाजों को दबाने के लिए पूरे परिवार को बेघर कर भटकने के लिए बेबस करना भाजपा की राष्ट्रविरोधी, धर्म-विरोधी, मानवता-विरोधी चरित्र का जीता-जागता सबूत है। 2024 के आम चुनाव के मद्देनजर भाजपा विरोधी अभियान के लिए पहलकारी साथियों की टीम का निर्णय हुआ।
इस लोकतंत्र बचाओ समागम में सर्व सेवा संघ के बनारस परिसर को अतिक्रमण कहकर बुलडोजर से ढहाने की घटना पर भी चर्चा हुई और सर्व सेवा संघ परिसर के ध्वस्तीकरण की एक स्वर से निन्दा की गयी। रामकवीन्द्र सिंह, सुजय राय, विंसेंट डेविड, जयचन्द प्रसाद, एलीना होरो, किरण, अम्बिका यादव, कुमार चन्द्र मार्डी, मदनी साहब, लिली शर्मा, आरपी चौधरी, रेयांश समद, मोबिन अंसारी, शशि कुमार, सोबरधन हांसदा, गौरी देवी, डेमका सोय, बी डी प्रसाद, मकी साहब आदि ने अपनी बात रखी।
मनोहर मंडल, उजागिर समदर्शी, अशोक शुभदर्शी, देवाशीष, गीता सुंडी, तौहीदुल्ल हसन, मुश्ताक अहमद, सत्यम, सुशील कुमार, काशीनाथ प्रजापति, सुखचन्द्र झा, राजकुमार दास, वासंती सरदार, मदनमोहन, रवि कुमार, सुनील हेम्ब्रम, दीपक रंजीत, कृष्णा लोहार, हरे कृष्ण सरदार, गणेश राम, जगत, उपेन्द्र बानरा, सुनील विमल आदि की उल्लेखनीय उपस्थिति रही।