महिलाओं के खिलाफ बढ़ रही हिंसा पर नैनीताल में हुई संगोष्ठी

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Violence Against Women

13 अगस्त। महिलाओं के खिलाफ बढ़ रही हिंसा पर नैनीताल के नगरपालिका सभागार रामनगर में महिला एकता मंच द्वारा 13 अगस्त को एक संगोष्ठी का आयोजन किया गया। महिलाओं के साथ हिंसा एवं गैरबराबरी पर चिंता व्यक्त करते हुए दिल्ली से आयीं लेखिका व फिल्म निर्माता नीरा जलक्षेत्री ने कहा, कि दुनिया की हर तीसरी औरत घरेलू /यौन हिंसा का शिकार हो रही है, और हमारे देश में तो हालत और भी खराब है। दहेज हत्याएं भारत जैसे देशों में ही देखी जाती हैं, दुनिया के दूसरे मुल्कों में नहीं। संस्कृति के नाम पर भी महिलाओं का ही शोषण होता है।

उन्होंने कहा कि लड़के व लड़कियों का पालन-पोषण अलग-अलग ढंग से किया जाता है। हम लड़कियों के घर से बाहर निकलने पर प्रतिबंध लगाते हैं, और लड़कों को आजादी देते हैं, यहीं से लड़कियों के साथ गैरबराबरी की शुरुआत हो जाती है। महिलाओं के साथ हिंसा लड़की के भ्रूण के साथ प्रारंभ होकर पूरे जीवन भर किसी न किसी रूप में जारी रहती है और उसकी मृत्यु के साथ ही समाप्त होती है। उन्होंने कहा कि महिलाओं को जिंदा जलाने की प्रथा होलिका दहन से आई है। होलिका दहन से प्रभावित होकर समाज में दहेज के लिए महिलाओं को जिंदा जला दिया जाता है।

मणिपुर में भीड़ द्वारा महिलाओं को निर्वस्त्र कर उनकी परेड करना द्रौपदी के चीर हरण की कहानी को अभिव्यक्त करता है। उन्होंने कहा कि हम महिलाएं जब गीत रच सकती हैं, तो हमें अपनी कहानियां भी रचनी चाहिए, जो हमें बराबरी और सशक्त बनाने वाली हों। दिल्ली हाई कोर्ट के अधिवक्ता कमलेश कुमार ने कहा, कि आज महिलाओं के साथ बढ़ रही हिंसा की जिम्मेदारी सरकार की है। ‘बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ’ का नारा देने वाली मोदी सरकार का सांसद बृजभूषण सिंह पहलवान लड़कियों द्वारा यौन उत्पीड़न के आरोप लगाने तथा उसकी गिरफ्तारी को लेकर महिलाओं के आंदोलन करने के बावजूद भी गिरफ्तार नहीं किया गया है।

उन्होंने कहा कि आज संचार माध्यम जनता को सही सूचनाएं नहीं दे रहे हैं। मणिपुर में महिलाओं को नग्न घुमाने की घटना को जनता तक पहुँचते- पहुँचते दो माह से भी अधिक का समय लग गया, और सरकार ने भी तब कोई सकारामक कार्रवाई नहीं की। जब मामला बहुत ज्यादा तूल पकड़ने लगा तब सरकार ने अपनी चुप्पी तोड़ी। कार्यक्रम का संचालन ललिता रावत ने किया। प्रभात ध्यानी, महक अंसारी, पुष्पा चंदोला, रीना सैनी, ललित उप्रेती, मुनीष कुमार, कौशल्या आदि ने भी महिलाओं के प्रति हिंसा के सवालों पर अपने विचार व्यक्त किये।

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