हनुमान पुराण – 12

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Hanuman

— विमल कुमार —

हनुमान – प्रभु! आपको G-20 के डिनर में नहीं बुलाया गया?
राम – पवनसुत, जब विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खरगे को, शरद पवार को, अखिलेश यादव को नहीं बुलाया गया तो मेरी क्या हस्ती?
हनुमान – लेकिन यह तो बहुत ही बुरा हुआ प्रभु! यह तो आपकी बेइज्जती है। आखिर आपके नाम पर करोड़ों रुपए का मंदिर बन रहा है, आपके नाम पर राजनीति चल रही और डिनर में आपको ही नहीं बुलाया गया। प्रेसिडेंट ऑफ भारत ने, प्राइम मिनिस्टर ऑफ भारत ने आपको याद नहीं किया।
राम – यह प्रेसिडेंट ऑफ इंडिया कब से प्रेसिडेंट ऑफ भारत हो गईं?
हनुमान – क्या आपको पता नहीं? इंडिया का नाम अब भारत हो गया है। अब सब जगह भारत ही लिखा जाएगा। भारत इंस्टिट्यूट ऑफ़ टेक्नोलॉजी, भारत आयुर्विज्ञान संस्थान, भारत अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन आदि आदि। सब जगह इंडिया की जगह भारत।
राम – अरे यह तो गजब हो गया! कहाँ-कहाँ इंडिया का नाम बदला जाएगा? आखिर यह सब क्यों हो रहा है? कहीं लोग मेरा नाम भी तो नहीं बदल देंगे?
हनुमान – अगर आपका नाम लॉर्ड रामा है तो उसे जरूर बदल दिया जाएगा क्योंकि उसमें एक औपनिवेशिक गन्ध आ रही है।
राम – लेकिन क्या अंग्रेजों के बनाए गए राष्ट्रपति भवन में औपनिवेशिक गन्ध नहीं आ रही? क्या इंडिया गेट का भी नाम बदल जाएगा? क्या गेटवे ऑफ इंडिया का नाम भी बदल जाएगा? मुझे तो उस आदमी के चेहरे से एक अजीब गन्ध आ रही।
हनुमान – प्रभु !आप समझते क्यों नहीं हैं। जब कोलकाता का नाम वामपंथियों ने बदल दिया, जब मद्रास का नाम बदल दिया गया, जब मुंबई का नाम बदल दिया तो यह सब होना ही था।प्रभु ! देखते जाइए इस देश में क्या-क्या होता है?
राम – अच्छा हनुमान! तुम यह तो बताओ G-20 का सम्मेलन कैसा रहा?
हनुमान – यह G-20 नहीं जी-आठ का सम्मेलन था।
राम – यह तुम क्या बक रहे हो? टीवी चैनलों पर तो G-20 आ रहा है, यह G-8 कैसे हो गया?
हनुमान – प्रभु, क्या आपको मालूम नहीं कि 12 देश इसमें नहीं आ रहे। चीन नहीं आया रूस नहीं आया यूक्रेन नहीं आया आदि आदि, तो आप ही बताइए यह G-20 कैसे हो गया?
राम – मैं बहुत ज्यादा अखबार नहीं पढ़ता। टीवी नहीं देखा। इसलिए मुझको अपडेट नहीं मालूम। जो भी हो आखिर तुम प्रगति मैदान तो गए होंगे। वहां भारत मंडप में क्या देखा।
हनुमान – आखिर मैं कैसे अंदर जाता? मेरा तो पीआईबी कार्ड भी नहीं था कि पास बनता। सोचा उड़कर जाऊं लेकिन वहां सिक्योरिटी इतनी टाइट थी कि मुझे ड्रोन से पकड़ लिया गया। कितने ड्रोन आसमान में उड़ रहे थे। मुझे प्रगति मैदान के बाहर पटक कर छोड़ दिया गया।
प्रभु, बहुत बहुत बुरे दिन आ गए हैं। लंका में भी रावण की इतनी टाइट सिक्योरिटी नहीं थी। वहां भी उड़ते हुए मैं मां सीता के पास पहुंच गया था लेकिन प्रगति मैदान में घुस भी नहीं सका।
राम – यह तो अच्छा नहीं हुआ तुम्हारे साथ। तुम्हारे साथ मेरी पूरी सहानुभूति है। चलो कोई बात नहीं अगले पुस्तक मेले में हम दोनों मिलते हैं और प्रगति मैदान में साथ-साथ घूमते हैं।
हनुमान – प्रभु, पुस्तक मेले में आपके ऊपर मेरी एक किताब आ रही है। आपके हाथों उसका विमोचन होगा।


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