— प्रोफेसर राजकुमार जैन —
हिंदुस्तानी शास्त्रीय संगीत की महान कलाकार, स्वरसाधिका मालिनी राजूरकर के इंतकाल की खबर मिली। तकरीबन 40 साल से अधिक समय पहले उस्मानिया यूनिवर्सिटी हैदराबाद के “स्पीक मैके” चैप्टर की ओर से उनके गायन के प्रोग्राम में भाग लेने के लिए मैं गया था। उनसे पहले मैंने अनेकों गायक गायिकाओं को सुना था। बेहद सादगी बिना दिखावे और बिना किसी तामझाम के उन्होंने स्टेज पर आते ही श्रोताओं को नमस्कार करके अपने गायन का आलाप शुरू किया तो उसका अलग ही प्रभाव मुझ पर पड़ा था। कई कलाकारों को मैंने स्टेज पर नखरे कभी साउंड सिस्टम, संगत करने वाले, तबला, सारंगी, हारमोनियम तथा तानपूरा बजाने वालों को हिदायत, झिड़की तथा साज और गले की खराबी को बयां करते हुए देखा था। परंतु मालिनी राजूरकर जी एक साधारण हिंदुस्तानी ग्रहणी की पोशाक में बिना किसी मेकअप लटके झटके के संगीत के अनेकों रंगों, खास तौर से टप्पा, तराना की मुख्तलिफ छटाओं को अपनी स्वरमाला से बिखेरती थी, सुनने वाले रस विभोर होकर उनसे बंध जाते थे। मुझे जब कभी भी मौका मिलता उनको सुनने के लिए बेताब रहता था। आखरी बार दिल्ली में श्री विनोद एस कपूर , जोकि ‘वीएसकपूर बैठक’ के नाम से अक्सर संगीत की महफिल आयोजित करते थे वहां मैं और मेरे मित्र पुरुषोत्तम दास जो की मिलिट्री इंजीनियरिंग सर्विस के बहुत बड़े ओहदेदार होने के साथ-साथ शास्त्रीय संगीत के जानकार एवं खुद भी बांसुरी बजाते हैं उनके साथ मालिनी जी को सुनने के लिए गया था। उस दिन ही मालिनी जी ने एक तरह से सार्वजनिक गायन से विदाई की खबर दे दी थी। हारमोनियम पर उनकी संगत कर रहे नौजवान डॉ अरविंद थत्ते जो कि पुणे विश्वविद्यालय से मैथमेटिक्स में पीएचडी थे, परंतु हारमोनियम पर संगत करने के बेजोड़ कलाकार तथा मालिनी जी के खास अनुज थे। मालिनी जी ने कहा कि अब मैं गायन के लिए बाहर नहीं जाती। परंतु एक तरफ कपूर साहब के खास इसरार तथा इस लड़के(अरविंद थत्ते) के दबाव जिसको मैं इनकार नहीं कर पाती, इस प्रोग्राम में शिरकत करने के लिए आई हूं।
उम्रदराजी के कारण उनके देहावसान की खबर मिली। जैसी सादगी और अपने हुनर की बुलंदी उनके जीते जी उनमें थी, उसी तरह जीवित रहते ही उन्होंने अपने मृतक शरीर को उस्मानिया मेडिकल कॉलेज को दान देने की इच्छा जाहिर कर दी थी। उसीके मुताबिक उनकी मृतकाया मेडिकल कॉलेज में भेज दी गई।
उनके जाने से इस स्थान की पूर्ति कब होगी कहा नहीं जा सकता? शास्त्रीय संगीत की इस महान गायिका को मैं अपने श्रद्धा सुमन अर्पित करता हूं।