नए साल की प्रार्थना

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new year's pray

medha

— मेधा —

मौन में ही प्रार्थनाएं

मुखरित होती हैं, शायद

प्रार्थनाएं जो आत्म आलोक से

लिखी गई हों

और अस्तित्व के राग में

अभिव्यक्त हुई हों

उन्हीं प्रार्थनाओं से

सृष्टि का श्रृंगार हो सका है

वही प्रार्थनाएं बार-बार

लौटती रही हैं

प्रेम और सत्य के रूप में

धरती पर।

वे सारी आत्माएं जो

प्रेम की अग्नि में

स्वयं की आहुति देती रही हैं

सदियों से

सत्य की सूली पर चढ़कर

जिन्होंने मनुष्यता का इतिहास

रचा है

उन्हीं आत्माओं के आलोक से

जगमग रहे

हमारे भीतर का आकाश

ये धरती और अंबर –

बुद्ध, ईसा, गांधी, टैगोर

नानक, कबीर, अमीर, बुल्ले

वारिस, फरीद, मीरा, रैदास

सब हर क्षण रहें पास

उनसे मिलती रहे आस

ललदेद की मानिंद

‘हर में हर के’ दर्शन हो

हर क्षण

मीरा का ‘राम रतन धन’

सबको सुलभ हो

बुद्ध की करुणा में सब डूबें

गांधी का सत्य

सबके जीवन का साहस बने

और उनकी अहिंसा

रचनात्मक प्रेम के रूप में

सबके जीवन का

उल्लास बनें

टैगोर का वो संसार साकार हो

जहां सभी भयमुक्त हों

और बुल्ले का ‘सुलह कुल’

राजनीति का मंत्र बने

2025 हर रूप में खिले

सत्य के साहस और

विराट की अनुभूति से भरे ।

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