महात्मा गांधी के प्रति नेताजी का नजरिया

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Mahatma Gandhi and Subhash Chandra Bose

Vinod kochar

— विनोद कोचर —

नेताजी सुभाषचंद्र बोस की जयंती है|सारा देश उन्हें याद कर रहा है|आजादी हासिल करने के लिए हिंसा के मार्ग पर चलने वाले नेताजी और अहिंसा के मार्ग पर चलने वाले गांधीजी दो विपरीत ध्रुवों पर खड़े दिखाई देते हैं लेकिन नेताजी ,फिर भी गांधीजी को अपना आदर्श ही मानते थे| फरवरी 1938 को हरिपुरा कांग्रेस के अध्यक्षीय पद से नेताजी ने जो ऐतिहासिक भाषण दिया था उसमें उन्होंने गांधीजी और हिंसा-अहिंसा के बारे में जो कहा था वह जानने और समझने योग्य है|

उन्होंने कहा था:-
“….. मित्रों,आज हम चिंताजनक परिस्थितियों का मुकाबला कर रहे हैं|कांग्रेस के भीतर दक्षिण और वामपंथी पक्षों में बहुत से मतभेद हैं,जिनकी उपेक्षा करना ठीक नहीं|आज ब्रिटिश साम्राज्य वाद हमें चुनौती दे रहा है|ऐसी विपत्ति में हमारा कर्तव्य क्या है-यह कहने की आवश्यकता नहीं|हमें दृढ़ता के साथ खड़े होकर इस तूफान का सामना करना चाहिए,और अपने निर्दयी शासकों की दुर्नीति को असफल बनातेरहना चाहिए|स्वतंत्रता युद्ध के लिए आज कांग्रेस ही सर्वाधिक उपयुक्त अस्त्र है|उसमे उग्रपंथी भी हो सकते हैंऔर अहिंसावादी भी,परंतु दोनों को कांग्रेस की छत्रछाया में खड़े होकर साम्राज्य विरोधिनी शक्तियों का संगठन करना चाहिए| ”

अंत में मैं यह कहकर आपके भावों को वाणी दूंगा कि महात्मा गांधी दीर्घ जीवी हों और हमारा देश बहुत दिनों तक उनके नेतृत्व में आगे बढ़ता रहे–यही समस्त भारत की हार्दिक कामना है|भारत माहत्मा गांधी को खोना नहीं चाहता,विशेषकर ऐसे समय में,जबकि सब लोगों में ऐक्य स्थापित करने की आवश्यकता है|हम अपने स्वतंत्रता युद्ध को घृणा और कटुता से बचाए रखने के लिए उन्हें चाहते हैं|हमें मानवता के लिए उनकी आवश्यकता है|हमारा युद्ध केवल ब्रिटिश साम्राज्य वाद से नहीं है,वरन वह विश्व साम्राज्यवाद से है|आज हम भारत के लिए ही नहीं,वरन मानवमात्र के लिए ही लड़ रहे हैं|भारत की स्वतंत्रता का अर्थ है,समस्त मानवजाति का भय से मुक्त हो जाना| “

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