“मीम्स” की भाषा: सोशल-मीडिया पर उभरती व्यंग्यात्मक चेतना

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— अरुण कुमार गोंड —

क “मीम” कभी केवल मज़ाक नहीं होता, बल्कि उसके पीछे समाज की कोई गहरी परत छुपी होती है। “मीम्स” आज के डिजिटल युग में ऐसे प्रतीक बन गए हैं; जो हँसी के माध्यम से सच्चाइयों को उजागर करते हैं। “मीम्स” मज़ाक, तंज या संदेश देने वाले चित्र या वीडियो होते हैं, जो सोशल-मीडिया पर तेजी से फैलते हैं। ये चित्र, वाक्यांश या दृश्य-सामाजिक विडंबनाओं, राजनीतिक घटनाओं और सांस्कृतिक बदलावों को बड़ी सहजता से जनता तक पहुँचाते हैं। यही कारण है कि सरकार हो या आम नागरिक, सभी “मीम्स” की भाषा शैली को महसूस करने लगे हैं। “मीम्स” अब केवल मनोरंजन नहीं रहे; बल्कि ये सामाजिक संवाद और जनमत निर्माण के नए उपकरण बन चुके हैं, जो सीधे दिल और दिमाग दोनों से बात करते हैं। “मीम” शब्द की उत्पत्ति का संबंध सांस्कृतिक विकास और संप्रेषण की अवधारणा से है। सर्वप्रथम 1976 में ब्रिटिश जीवविज्ञानी “रिचर्ड डॉकिन्स” ने अपनी प्रसिद्ध कृति The Selfish Gene में इस शब्द का प्रयोग किया।

आज का इंटरनेट युग “मीम्स” की अलग ही दुनिया है, जहाँ हज़ारों चित्र, वीडियो और संवाद रोज़ाना हमारे मोबाइल स्क्रीन पर मुस्कान बनकर उभरते हैं। परंतु इन “मीम्स” को समझने के लिए लोगों को किसी परिभाषा या सिधांत की आवश्यकता नहीं होती- क्योंकि “मीम्स” की असली भाषा संदर्भ और सांझे अनुभवों में छिपी होती है। जब कोई व्यक्ति किसी नेता का मज़ाक उड़ाता मीम देखता है, तो उसे समझने के लिए उसे उस नेता की छवि और घटनाओं की जानकारी पहले से होती है। ठीक वैसे ही, जब किसी फिल्मी दृश्य पर आधारित मीम वायरल होता है, तो दर्शक उसकी पृष्ठभूमि  को पहचानते हैं; तब जाकर मीम प्रभावशाली बनता है। इसीलिए, मीम एक ऐसा सांस्कृतिक संवाद है, जो समाज में व्याप्त ज्ञान, स्मृति, विचार और भावना के आधार पर समझा जाता है। यह संवाद किताबों से नहीं, बल्कि लोक चेतना और रोज़मर्रा के अनुभवों से जन्म लेता है। “मीम्स” की लोकप्रियता का रहस्य भी इसी में छिपा है- वे जनता की ही ज़ुबान बोलते हैं, उसी के मज़ाक, दुख, ग़ुस्से और उम्मीदों को अभिव्यक्त करते हैं। इस तरह “मीम्स” केवल चित्र नहीं, समाज की मुस्कराती हुई भाषा हैं- जो कहते कम हैं, दिखाते ज़्यादा हैं, और समझ में सीधे उतरते हैं।

ठीक इसी प्रकार डिजिटल युग में “मीम्स” आज के सामाजिक, राजनीतिक, आर्थिक, सांस्कृतिक और मनोवैज्ञानिक जीवन की जटिलताओं को सरल भाषा और चित्रों के माध्यम से व्यक्त करने वाला एक प्रभावशाली उपकरण बन चुके हैं। इंटरनेट पर प्रसारित होने वाले ये छोटे-छोटे दृश्यात्मक संदेश न केवल हमारी सोच को प्रभावित करते हैं, बल्कि हमारे सामाजिक व्यवहार, भावनात्मक प्रतिक्रियाओं और सांस्कृतिक समझ को भी आकार देते हैं। “मीम्स” एक तरह की जनभाषा बन गए हैं, जिनके ज़रिए लोग सरकार, नेताओं और नीतियों पर तीखी टिप्पणियाँ करते हैं या उनका समर्थन प्रकट करते हैं। चुनावी समय में राजनीतिक दल भी इन्हें प्रचार के साधन के रूप में उपयोग करते हैं; क्योंकि ये जल्दी फैलते हैं और युवाओं पर गहरा असर डालते हैं। 

तथा “मीम्स” आधुनिक और पारंपरिक मूल्यों के टकराव को दर्शाते हैं। वे फिल्मों, त्योहारों, स्थानीय बोलियों, कहावतों और पॉप कल्चर को एक मंच पर लाकर नई सांस्कृतिक व्याख्याएँ प्रस्तुत करते हैं। वे लोकसंस्कृति को डिजिटल संस्कृति से जोड़ने का काम करते हैं। “मीम्स” डिजिटल मार्केटिंग का एक अहम हिस्सा बन चुके हैं। ब्रांड और कंपनियाँ “मीम्स” के ज़रिए अपने उत्पादों को युवाओं तक पहुँचा रही हैं। साथ ही, मीम-निर्माण एक नया कैरियर विकल्प बन चुका है, जिससे डिजिटल अर्थव्यवस्था को नया स्वरूप मिला है। “मीम्स” लोगों को जोड़ते हैं, एक सामूहिक भावना का निर्माण करते हैं। वे विरोध, समर्थन, दुःख या हास्य को साझा करने का माध्यम हैं। तथा “मीम्स” युवा पीढ़ी के तनाव, अकेलेपन, असुरक्षा और भावनात्मक संघर्ष को उजागर करते हैं। वे आत्म-अभिव्यक्ति और मानसिक राहत का भी जरिया बनते हैं। इस प्रकार, “मीम्स” आज सोशल-मीडिया मंच पर मनोरंजन नहीं, बल्कि हमारे जीवन के हर पहलू को छूने वाले सांस्कृतिक दर्पण बन गए हैं; जो हमारी सोच, भावनाओं और समाज की दिशा को प्रभावित करते हैं।

वायरल मिम्स के उदाहरण:

कोविड-19 महामारी (चित्र संख्या-1) के दौरान फरीदाबाद (हरियाणा) पुलिस ने सोशल-मीडिया पर फिल्मी “मीम्स” के ज़रिए लोगों को मास्क पहनने और वैक्सीन के बाद भी सावधानी बरतने का संदेश दिया। “शोले” फिल्म के “गब्बर-कालीया” संवाद पर आधारित एक मीम में गब्बर कहता है, मास्क नहीं लगाएगा तो सरदार बहुत खुश होगा!” और कालीया जवाब देता है, मैं वैक्सीन लगवा लिया हूं सरदार!” फिर गब्बर कहता है, तो ये ले अब मास्क 😷 भी लगा!” यह मीम हँसाने के साथ-साथ यह भी बताता है कि वैक्सीन के बावजूद मास्क पहनना जरूरी है। (चित्र संख्या-1): (कोविड-19 के दौरान गब्बरकालीया पर मीम)

इस तरह के “मीम्स” हास्य और चेतना का अद्भुत मेल हैं। फरीदाबाद पुलिस ने लोकप्रिय संस्कृति का इस्तेमाल कर संवाद को सरल, रोचक और प्रभावशाली बनाया। यह सिर्फ़ निर्देश नहीं देता, बल्कि मज़ाक के ज़रिए सामाजिक ज़िम्मेदारी की भावना को उजागर करता है। कोविड-19 के समय जब लोग सरकारी आदेशों से थक चुके थे, ऐसे “मीम्स” ने संवाद की नई, मानवीय भाषा दी। पुलिस की छवि एक सख्त संस्था से बदलकर एक समझदार और सहयोगी इकाई के रूप में बनी। यह उदाहरण दर्शाता है कि कैसे डिजिटल “मीम्स” आज समाज में जागरूकता और व्यवहार परिवर्तन के सशक्त माध्यम बनते जा रहे हैं। 

इसी तरह दूसरा उदारहण देखे तो (चित्र संख्या-2)  2024 लोकसभा चुनाव परिणामों के बाद नितीश कुमार पर आधारित “मीम्स” सोशल-मीडिया पर छा गए, विशेषकर फिल्म “वेलकम” के एक दृश्य पर बना मीम। इसमें अनिल कपूर और नाना पाटेकर जिस तरह एक ही लड़की से एक साथ बात करते हैं, उसी शैली में “लड़की” को नितीश कुमार और दोनों पुरुषों को कांग्रेस व बीजेपी दर्शाया गया। यह मीम उनकी बार-बार बदलती राजनीतिक निष्ठा पर व्यंग्य करता है, और उन्हें ‘पलटू कुमार’ नाम से संबोधित किया जा रहा है।

 इस तरह के “मीम्स” आज राजनीति का लोकप्रिय रूप हैं, जो जनता की सोच, सवाल और आलोचना को रचनात्मक ढंग से प्रस्तुत करते हैं। यह आम नागरिकों को राजनीतिक घटनाओं से जुड़ने का एक मंच देते हैं, जहां वे हास्य के माध्यम से सत्ता के चरित्र पर सवाल उठाते हैं। ऐसे “मीम्स” केवल मनोरंजन नहीं बल्कि लोकतांत्रिक भागीदारी का आधुनिक रूप हैं, जो नेताओं को जवाबदेह बनाने का काम करते हैं। यह डिजिटल युग में जनता की राजनीतिक जागरूकता और रचनात्मक प्रतिरोध की ताक़त को दर्शाते हैं- जहाँ व्यंग्य, सिनेमा और सोशल मीडिया एक नई राजनीतिक भाषा गढ़ते हैं। (चित्र संख्या-2): (नितीश कुमार को लेकरवेलकमफिल्म आधारित मीम)

 इस प्रकार तीसरा उदहारण (चित्र संख्या-3) शादी के मौके पर वायरल हुआ यह मीम- जिसमें एक महिला (आंटी) का सिर CCTV कैमरा में बदलकर दिखाया गया है- हास्य और व्यंग्य का बेहतरीन उदाहरण है। यह मीम केवल एक मज़ाक नहीं, बल्कि देसी शादियों में मौजूद उस ‘निगरानी संस्कृति’ की तीखी व्याख्या करता है, जहाँ हर मेहमान की हर हरकत पर पैनी नजर रखी जाती है। मीम में लिखा  है- शादी में कोई बारात से नहीं, ऑंटी की नजरों से डरता है।” यह मीम इस बात को दर्शाता है कि भारतीय विवाह केवल दो व्यक्तियों का नहीं, बल्कि पूरे समाज का आयोजन बन जाता है जहाँ हर किसी की ‘जाँच-पड़ताल’ होती है। 

इस तरह के “मीम्स” सामाजिक मानसिकता पर कटाक्ष करते हैं- कैसे रिश्तेदार, विशेष रूप से महिलाएँ (ऑंटियाँ), दूसरों के पहनावे, व्यवहार और रिश्तों पर नज़र रखती हैं। CCTV कैमरा बने सिर का प्रतीक यह बताता है कि कुछ-लोग शादियों में व्यक्तिगत खुशी से ज़्यादा सामाजिक स्कैनिंग में व्यस्त रहते हैं। यह मीम हमें हँसाता जरूर है, लेकिन साथ ही सोचने पर मजबूर करता है कि क्या हम निजी समारोहों को भी एक सामाजिक मंच बना चुके हैं जहाँ निगरानी, आलोचना और तुलना ही केंद्र में है।

इस प्रकार कहा जा सकता है कि बदलते समय में “मीम्स” केवल मनोरंजन का माध्यम नहीं रह गए हैं, बल्कि वे समाज की सोच, संवेदनाओं और विरोध की एक नई भाषा बनकर उभरे हैं। ये छोटे-छोटे चित्रात्मक संदेश गहराई से भरी बातों को बड़ी सहजता से कह जाते हैं। हास्य और व्यंग्य के ज़रिए “मीम्स” अब शादी जैसे पारिवारिक अवसरों से लेकर राजनीति, स्वास्थ्य और सामाजिक आचरण जैसे गंभीर मुद्दों तक अपनी बात कहने लगे हैं। इनकी सबसे बड़ी ताकत यह है कि ये अधिकारिक या बोझिल भाषा का सहारा नहीं लेते, बल्कि सीधी, सरल और आम बोलचाल की शैली में एक प्रभावशाली सन्देश देते हैं। इन्हें पढ़ते या देखते ही लोग न केवल हँसते हैं, बल्कि सोचने पर भी मजबूर होते हैं। एक मज़ाकिया तस्वीर कई बार किसी भाषण से ज़्यादा असर छोड़ देती है। “मीम्स” ने एक ऐसा डिजिटल सार्वजनिक मंच तैयार किया है जहाँ आम लोग भी अपनी बात रख सकते हैं- चाहे वह सत्ता की आलोचना हो, सामाजिक परंपराओं पर कटाक्ष हो या महामारी के दौरान स्वास्थ्य चेतना का संदेश। इसलिए, “मीम्स” को आज के समय का सांस्कृतिक व्यंग्य कहा जा सकता है; जो हँसी के सहारे गहरी बातें कहने की कला है। यह युवा पीढ़ी की अभिव्यक्ति का ज़रिया है, जो संवाद, चेतना और आलोचना को नए डिजिटल रूप में सामने लाता है।

संदर्भ चित्र संख्या-1: https://hindi.news18.com/photogallery/haryana/faridabad-faridabad-police-funny-facebook-posts-for-aware-people-to-wear-mask-hrrm-3958652.html 

संदर्भ चित्र संख्या-2: https://www.ndtv.com/india-news/nitish-kumar-flip-flop-memes-take-centrestage-after-lok-sabha-results-5816305 

संदर्भ चित्र संख्या-3: https://navbharattimes.indiatimes.com/jokes/social-humour/desi-wedding-day-funny-and-hilarious-memes-viral-on-internet/photoshow/92743291.cms 

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