पहलगाम आतंकी हमला और ऑपरेशन सिंदूर पर लोकसभा में चर्चा

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भाजपा संघ की केंद्र सरकार पहलगाम आतंकी हमले में मारे गए निर्दोष 26 लोगों और इसके बाद सेना द्वारा ऑपरेशन सिंदूर पर चर्चा से पिछले 90 दिनों से बच रही है। शायद उन्हें बहुत कुछ देश से छुपाना है नहीं तो लोकतंत्र में देश को जानने का अधिकार है कि आतंकी हमला जम्मू कश्मीर जैसे इलाका में यहां सुरक्षा दलों की पूरी निगरानी है आखिर कैसे संभव हुआ और वे पूरा तांडव कर भागने में भी सफल हुए। आखिर वे कैसे पाकिस्तान के बॉडर से ढाई तीन सौ किलोमीटर अंदर तक पहुंचने में कामयाब हुए और बिना किसी सुरक्षा दलों के साथ मुठभेड़ के बहुत ही घिनौना कृत्य करने में सफल हुए। इतना ही नहीं उन्होंने धर्म पूछ कर केवल पुरुषों को उनके परिवार के सामने ही निशाना बनाया। ये कृत्य देश में सांप्रदायिकता की आग भड़काने के इरादे से किया गया। इतना ही नहीं भाजपा संघ से जुड़े लोगों और गोदी मीडिया ने कोई कोर कसर नहीं छोड़ी कि इससे राजनीतिक रोटियां सेकी जाएं। यह तो देश के आवाम की समझदारी काम आई कि देश स्तब्ध रह कर भी विवेक से काम लिया और कुछ छुटपुट घटनाओं को छोड़ बाकी तरफ शांतिपूर्ण माहौल बना रहा और लोग सरकार से उम्मीद लगाए रहे कि सरकार अवश्य उचित समय में उचित कार्रवाई करेगी। विपक्ष ने भी सभी दलों की बैठक में सरकार से एकजुटता दर्शाई। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जरूर इस वारदात के तीसरे दिन बिहार में चुनावी रैली को संबोधित कर इसका राजनीतिक लाभ लेने की कोशिश की। यहां तक वे बिहार के मुख्यमंत्री नितीश कुमार के साथ मंच पर ठहाके लगाते भी नजर आए जो एक बचकाना व्यवहार रहा।

कल लोकसभा में चर्चा के समय प्रधानमंत्री का लोकसभा से अनुपस्थित रहना भी उनकी इस चर्चा में कितनी दिलचस्वी है का पता चलता है। पूरा दिन की बहस में वे सदन में नहीं दिखे। मुख्य वक्ताओं के बाद तो पूरे लोकसभा से वित्त मंत्री सीता रमन के सिवाए सारा केंद्रीय मंत्रिमंडल ही चर्चा से अनुपस्थित रहा। इस सरकार की गंभीरता को दर्शाता है।

रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने चर्चा की शुरुआत की। उन्होंने ने सुरक्षा में हुई चूक का जिक्र तक नहीं किया और आतंकी कहां छुपे है या कैसे घटना के बाद भागे पर कोई बयान नहीं दिया। अमेरिकन राष्ट्रपति डॉ डोनाल्ड ट्रंप के बार बार कहने पर कि उन्होंने ही पाकिस्तान भारत के बीच युद्ध विराम करवाया है को रक्षा मंत्री ने नकारते हुए कहा कि पाकिस्तान के आग्रह से ही युद्ध रोका गया है साथ में यह जरूर कहा कि यह सब राजनीतिक और मिलिट्री उद्देश्य की पूर्ति के बाद ही हुआ है। विपक्ष की तरफ से कांग्रेस के सांसद गौरव गगोई ने अवश्य सरकार की विफलता के लिए उन्हें कठघडे में खड़ा किया विशेषकर जब “पाकिस्तान घुटने टेकने को तैयार था तो ऑपरेशन क्यों रोका” साथ में उन्होंने जोड़ा कि किसके सामने आत्मसमर्पण यानी सरेंडर किया। पहलगाम आतंकी हमले को बड़ी सुरक्षा और खुफिया चूक करार देते हुए पूछा कि आंतकवादी वहां कैसे पहुंचे।

इस चर्चा में सत्ता पक्ष की तरफ से अनुराग का सीधा निशाना राहुल गांधी थे उन्हें ने बहुत ही घटिया मानसिकता का परिचय देते हुए राहुल गांधी को LOP के बजाय LOB संबोधित किया जिसका मतलब उन्होंने भारत विरोधी और पाकिस्तान के हिमायती कहा जो कि भाजपा संघ की बीमार मानसिकता को दर्शाता है। भारत का कोई भी नागरिक कभी भी पाकिस्तान का समर्थन नहीं कर सकता है। यह जरूर है कि हर राजनीतिक दल की अपनी अपनी विदेश नीति होती है और हर समस्या के लिए अलग सोच भी। पाकिस्तान भी हमारे पड़ोसी हैं इसलिए अशांति दोनों देशों के हित में नहीं है। युद्ध भी किसी समस्या का हल नहीं है। भाजपा संघ जरूर अपने हिंदुत्व के एजेंडे को पुख्ता करने के लिए मुस्लिम और पाकिस्तान ऐंगल को हवा देते रहे हैं। पहले पुलवामा और पहलगाम इन्हें एक संजीवनी की तरह मिला जिसे ये लोग भुनाने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ते। और विपक्ष पर उल्टा आरोप लगाते हैं कि वे मुस्लिम तुष्टिकरण करते हैं ताकि भाजपा हिंदुओं को अपने पाले में कर सत्ता सुख भोगते रहें जैसे गृहमंत्री अमित शाह ने कहा भी ” विपक्ष को विदेशमंत्री पर भरोसा नहीं है। किसी और देश पर भरोसा है, इनकी पार्टी में विदेश का महत्व है

इसलिए वे विपक्ष में हैं और 20 साल वहीं बैठे रहेंगे”! सत्ता पक्ष और विपक्ष के सांसदों ने इस चर्चा में हिस्सा लिया। इसमें NCP की सुप्रिया सुले ने कहा कि विदेश में उन्होंने पाया कि यहां वे गए वहां के लोग युद्ध विराम से काफी प्रभावित हुए न कि दोनों देशों के किसी प्रकार के टकराव से!

अभी भी ऑपरेशन सिंदूर से देश को क्या उपलब्धि हासिल हुई एक रहस्य बना हुआ है। देश की सुरक्षा खामियों को सरकार कैसे निपटेगी इस पर संसद या देश के आवाम को भरोसे में लेना ही है। देश की विदेश नीति में भी खामियां पाई गईं हैं इसे भी दुरुस्त किए जाने की जरूरत है। एक तरफ अमेरिका देश के लिए समस्याएं पैदा कर रहे हैं तो दूसरी तरफ रूस भी अपने पुराने रुख से पलटता हुआ लग रहा है। इसका मुख्य वजह पिछले 11 वर्षों में भाजपा संघ का अमेरिका की तरफ झुकाव ही कारण है। पर अमेरिका कभी भी भारत का भरोसेमंद दोस्त नहीं रहा है। अभी लोकसभा की चर्चा चली हुई है प्रधानमंत्री के वक्तव्य का इंतजार है साथ में राज्य सभा में भी चर्चा होनी है। देखते हैं सरकार आगे क्या इस बारे अपना रुख अपनाती है।

अभी चुनाव आयोग द्वारा बिहार में वोटर लिस्ट में गहन जांच चलाई हुई है जिसमें भी बहुत बबाल मचा हुआ है इसमें भी विपक्ष काफी हमलावर है। सरकार पूरी लोकतांत्रिक व्यवस्था को ही चौपट करने की मंशा पाले हुए है। चुनाव आयोग सरकारी विभाग की तरह काम कर रहा है।


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