1 मई। अंतरराष्ट्रीय श्रमिक दिवस पर देश भर में विभिन्न स्थानों पर हजारों कार्यक्रम हुए। दिल्ली में दस प्रमुख केंद्रीय ट्रेड यूनियनों के साझा तत्वावधान में रामलीला मैदान से विशाल रैली निकाली गयी। रैली टाउनहाल हाल पहुँचकर सभा में परिणत हो गयी। रैली में विभिन्न श्रमिक संगठनों के संगठित और असंगठित, दोनों क्षेत्रों के हजारों कामगार शामिल थे, और इनमें महिलाओं की खासी तादाद थी। रैली में शामिल लोग हाथों में तख्तियाँ लिये हुए चल रहे थे जिन पर 4 लेबर कोड को खत्म करने, महँगाई पर लगाम लगाने, रोजगार मुहैया कराने, सार्वजनिक उपक्रमों की संपत्ति औने-पौने दामों पर बेचने तथा निजीकरण बंद करने, श्रम सम्मेलन बुलाने, प्रधानमंत्री की घोषणा के मुताबिक कोविड-19 के दौरान का पूरे वेतन दिलाने आदि माँगें लिखी हुई थीं।

इस अवसर पर हिंद मजदूर सभा (एचएमएस) के राष्ट्रीय महासचिव हरभजन सिंह सिद्धू ने मई दिवस का इतिहास बताते हुए कहा कि भारत के मौजूदा हालात काफी चुनौतीपूर्ण हैं। सरकार बड़े कारपोरेट घरानों और बहुराष्ट्रीय कंपनियों के दबाव में काम कर रही है। उसका एकसूत्री एजेंडा है कि कैसे श्रमिकों के हक में बनाये गये कानूनों को पूँजीपतियों तथा कंपनियों के पक्ष में कर दिया जाए। व्यापार को सुगम बनाने (ईज आफ डूइंग बिजनेस) के नाम पर पूँजीपतियों को रियायत पर रियायत दी जा रही है, उनके कर्जे माफ किये जा रहे हैं। दूसरी ओर, कामगारों का शोषण बढ़ानेवाले कानून और वैसी स्थितियाँ बनायी जा रही हैं। सरकार ने रेलवे, बैंक, बीमा, बंदरगाह, कोयला, सड़क परिवहन जैसे बड़े क्षेत्रों में एफडीआई की मंजूरी दे दी है। सरकार की गलत नीतियों और गलत फैसलों का विरोध करने पर यूएपीए जैसे आतंकवाद निरोधक कानून के तहत कार्रवाई की जा रही है। दक्षिणपंथी सांप्रदायिक शक्तियाँ पूरे देश में जनता को धर्म के नाम पर लड़ाने और नफरत की आग भड़काने में जुटी हुई हैं। श्रमिकों की एकता और एकजुटता के बल पर ही इन सब चुनौतियों से पार पाया जा सकता है।
सभा को दस केंद्रीय ट्रेड यूनियनों के अन्य वरिष्ठ नेताओं ने भी संबोधित किया।
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