12 मई। पहले शाहीन बाग, फिर खरगोन और अब खंभात। देश के विभिन्न हिस्सों में मुस्लिम महिलाओं ने अपने मौलिक अधिकारों का दावा करने के लिए साहस दिखाया है।
फेसबुक पर 11 मई, 2022 का एक वायरल वीडियो सामने आया है, जो गुजरात के खंभात का है। इस वीडियो में समुदाय के निरंतर उत्पीड़न के खिलाफ आवाज उठाने के लिए महिलाएँ सड़क पर उतरी हैं। इसके साथ ही वे मीडिया द्वारा बार-बार उनकी दुर्दशा की अनदेखी करने के लिए भी लामबंद हुई हैं। वीडियो में एक महिला को इस प्रयास में मदद और कुछ प्रोत्साहन माँगते देखा जा सकता है।
सोशल मीडिया पर प्रसारित इसी तरह के वीडियो और तस्वीरों से पता चलता है, कि कैसे मुस्लिम महिलाओं ने खरगोन (मध्य प्रदेश) में सड़कों पर मार्च किया, और समुदाय के खिलाफ लगातार हमलों के लिए प्रशासन की निंदा की। महिलाओं ने रामनवमी के दौरान हाल ही में हुई हिंसा के दौरान मूकदर्शक बने रहने के लिए पुलिस की निंदा की है।
कानून और संवैधानिक संरक्षण की उचित प्रक्रिया की पूरी तरह से अवहेलना करते हुए, प्रशासन ने गुजरात, मध्य प्रदेश और दिल्ली में मुस्लिम अल्पसंख्यकों की चुनिंदा गिरफ्तारियाँ की हैं और उनके स्वामित्व वाली संरचनाओं को बुलडोजर से ढहा दिया। ये घटनाएँ रामनवमी व हनुमान जयंती पर हुई हैं।
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, स्थानीय पुलिस ने अब तक मध्य प्रदेश में 182 लोगों को गिरफ्तार किया है, गिरफ्तार किए गए लोगों में सबसे ज्यादा मुस्लिम हैं। धार्मिक जुलूस में शामिल बदमाशों की लूटपाट से दुकानें और घर तबाह हो गए। देश के विभिन्न हिस्सों में सांप्रदायिक हिंसा के दौरान आगजनी, दंगे, पथराव की घटनाएँ हुईं।
इस वीडियो में जहाँगीरपुरी का एक दिल दहला देनेवाला दृश्य है, जहाँ इस तरह के विध्वंस पर यथास्थिति लागू करने के सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बावजूद विध्वंस अभियान जारी रहा।
निरंतर प्रशासनिक उत्पीड़न से त्रस्त मुस्लिम महिलाओं ने अंततः अपने समुदाय के खिलाफ जारी अत्याचारों का विरोध करने के लिए सड़कों पर मार्च किया।
पिछले महीने, उत्तर प्रदेश के खैराबाद शहर में महर्षि श्री लक्ष्मण दास उदासी आश्रम के ‘महंत’ बजरंग मुनि दास के रूप में पहचाने जाने वाले एक व्यक्ति ने मुस्लिम महिलाओं के साथ बलात्कार करने की आपराधिक धमकी जारी की थी। उसने 2 अप्रैल को सीतापुर में एक मस्जिद के बाहर खड़े एक वाहन से लाउडस्पीकर से जुड़े एक माइक्रोफोन में बात करते हुए कहा, “यदि आप एक हिंदू लड़की को छेड़ते हैं, तो मैं आपकी बेटियों और बहुओं को आपके घर से अपहरण कर लूंगा, और सार्वजनिक रूप से उनका बलात्कार करूंगा।
विडंबना यह है, कि हिजाब पहने महिलाओं को उसी दमनकारी शासन के खिलाफ खड़े होते देखा जाता है, जो अक्सर मुस्लिम महिलाओं को अपने ही धर्म द्वारा उत्पीड़ित होने का दावा करती है। लेकिन कोई यह नहीं भूल सकता, कि मुस्लिम महिलाएँ शाहीनबाग में शांतिपूर्ण विरोध प्रदर्शन में सबसे आगे थीं, जहाँ उन्होंने राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय मीडिया का ध्यान 2019 की शुरुआत में भेदभावपूर्ण नागरिकता संशोधन अधिनियम (CAA) की ओर आकर्षित किया।
(‘सबरंग इंडिया’ से साभार)