पंजाब में खेतिहर मजदूरों की दिहाड़ी की लड़ाई, मुख्यमंत्री का घर घेरा

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30 मई। पंजाब के भूमिहीन खेतिहर मजदूरों ने धान के सीजन में दिहाड़ी बढ़ाए जाने, कर्ज माफी, नजूल की जमीन का स्वामित्व समेत दर्जन भर माँग लेकर संगरूर में सीएम भगवंत मान के आवास का घेराव किया। बीते रविवार को पंजाब से शेरपुर में क्रांतिकारी पेंडू मजदूर यूनियन के नेतृत्व में हजारों खेतिहर मजदूरों ने धरना प्रदर्शन कर मान से तत्काल वार्ता बुलाने की माँग की।

खेतिहर मजदूरों ने जहाँ धान की रोपाई में दिहाड़ी बढ़ाने की माँग की, वहीं अपनी मर्जी से कम दिहाड़ी तय करनेवाले जमींदारों के खिलाफ गुस्सा प्रकट किया। साथ ही चेतावनी दी, कि वह मजदूर किसान एकता में खटास पैदा करने का काम न करें। वर्कर्स यूनिटी से बातचीत में क्रांतिकारी पेंडू मजदूर यूनियन (केएमपीयू) के राज्य महासचिव लखवीर लोंगोवाल ने कहा, कि “पंचायत की एक तिहाई जमीन पाने के लिए कड़ा संघर्ष करना होगा और फिर कहीं जमीन का अधिग्रहण किया जाएगा।”

केपीएमयू के नेता परगट सिंह कालाझार ने कहा कि ‘धान की बीजाई की मजदूरी बढ़ाना समय की माँग है।’ यूनियन की ओर से जारी प्रेस विज्ञप्ति में राम सिंह बेंद्रा ने कहा है, “ऐसे समय में जब महंगाई दिन-ब-दिन बढ़ती जा रही है और मजदूरों के श्रम का सही मूल्य नहीं दिया जा रहा है , तब मजदूरों को संगठित होना होगा।”

नेताओं ने कहा कि “पंजाब सरकार खुद इस बात को मान रही है कि क्या इस बार गेहूं और भूसे की पैदावार कम हुई है, जिसके कारण सरकार ने किसानों को 500 रुपये प्रति क्विंटल मुआवजा देने की घोषणा की थी।”

“लेकिन यह प्राकृतिक आपदा मजदूरों पर भी पड़ी है जिससे गाँवों में मजदूरों को न भूसा मिला है और न ही गेहूं। जिससे गाँव के मजदूर अपने पशुओं को बेचने को मजबूर हो रहे हैं।” बयान के अनुसार, “धान बीजाई के लिए प्रति किला 1500 रुपये देने की घोषणा की जा रही है। जबकि पंजाब सरकार रोजगार छिनने के बावजूद खेतिहर मजदूरों को न तो मुआवजा दे रही है न कोई वैकल्पिक व्यवस्था कर रही है। इससे साफ होता है कि मान सरकार मजदूर विरोधी है।”

प्रदर्शनकारियों की माँगें

# धान की बुवाई की दर कम से कम 6,000 रुपये प्रति किला तय की जाए।

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पंचायत की एक तिहाई जमीन भूमिहीन ग्रामीण मजदूरों को कम दर पर दी जाए।

# बाकी भूमिहीन-गरीब-छोटे किसानों को जमीन दी जाए, चकबंदी कानून को सख्ती से लागू किया जाए।

# सीमांकन से ऊपर की जमीन भूमिहीन मजदूरों, किसानों में बांटी जाए।

# नजूल भूमि का स्वामित्व दिया जाए।

# 10 मरला भूखंडों का आवंटन और काम न मिलने की स्थिति में बेरोजगारी भत्ता दिया जाए।

# सरकार दलित भूमिहीनों के सरकारी और गैर सरकारी कर्ज माफ करे।

# सहकारी समितियों में बिना शर्त सदस्यों की भर्ती करे और ब्याज और सब्सिडी के तहत ऋण प्रदान करे।

# वृद्धावस्था, विधवा, विकलांगता पेंशन कम से कम 5000 किया जाए।

# वृद्धावस्था पेंशन की आयु सीमा महिलाओं के लिए 55 वर्ष, पुरुषों के लिए 58 वर्ष किया जाए।

# दलितों के उत्पीड़न को रोकने के लिए कानून का सख्ती से पालन हो।

# श्रम कानूनों में संशोधन को निरस्त करने और विधानसभा में एक प्रस्ताव पारित करना चाहिए।

बीकेयू (क्रांतिकारी) पंजाब के राज्य सचिव बलदेव सिंह जीरा और लोक संग्राम मोर्चा पंजाब के महासचिव सुखमंदर सिंह बठिंडा ने कहा, कि खेत मजदूरों की माँगें बहुत न्यायसंगत हैं और सरकार को तत्काल इस पर ध्यान देना चाहिए।उल्लेखनीय है, कि पंजाब में दलित और भूमिहीन खेतिहर मजदूरों की यूनियनें बीते एक साल से अपनी माँगों को लेकर मुख्यमंत्री के घर तक दस्तक देती रही हैं। इससे पहले पूर्व मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी और कैप्टन अमरिंदर सिंह के खिलाफ भी बड़े-बड़े प्रदर्शन हो चुके हैं। चन्नी तो दलित समुदाय से ही आते हैं, लेकिन उनसे भी सिवाय वादों और जुबानी जमा खर्च के कुछ ठोस हासिल नहीं हुआ।

(‘वर्कर्स यूनिटी’ से साभार)

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