31 मई। भोजन माताओं के काम के घंटे निश्चित करने तथा स्कूलों में अतिरिक्त कार्य पर रोक लगाने, सभी स्कूलों में गैस चूल्हा की व्यवस्था आदि माँगों के संदर्भ में प्रगतिशील भोजनमाता संगठन हरिद्वार के कार्यकर्ताओं, सदस्यों ने 11 मार्च को विकास भवन रोशनाबाद से जिला शिक्षा कार्यालय तक एक जुलूस निकाला, वहाँ पहुँचकर सभा की और अपनी माँगों का ज्ञापन सौंपा।
प्रगतिशील भोजनमाता संगठन की संयोजिका दीपा ने कहा कि 18-19 सालों से भोजनमाताएँ सरकारी स्कूलों में खाना बनाने का काम करती आ रही हैं। मात्र ₹3000 में न तो उनके काम के घंटे निश्चित हैं और न कार्य की प्रवृत्ति। इस तरह भोजन माताओं का शोषण-उत्पीड़न किया जा रहा है। अगर उनकी ये माँगें पूरी नहीं होती हैं तो भोजन माताएँ उग्र आंदोलन करेंगी।
भोजनमाता रीना ने कहा, कि आज हमें स्कूलों में खाना ही नहीं बल्कि स्कूलों के सारे काम कराए जाते हैं। सफाई, स्कूल खोलने से लेकर बंद करने तक, यहाँ तक कि बच्चों को पढ़ाने के लिए भी कहा जाता है और मानदेय मात्र ₹3000 दिया जा रहा है जो अब हम नहीं सह सकते। भोजनमाता रजनी ने कहा, कि अगर हमारी ये माँगें नहीं मानी जाएंगी तो हम पूरे उत्तराखंड की 25000 भोजनमाताएँ चुप नहीं बैठेंगी। जब तक हमारे काम के घंटे निश्चित नहीं होंगे और न्यूनतम मानदेय नहीं दिया जाता है तब तक हम अपने संघर्षों को और आगे बढ़ाते रहेंगे।
भोजनमाता नर्वदा ने कहा, कि अभी तो यह अंगड़ाई है आगे और लड़ाई है। यह हरिद्वार की भोजन माताओं की ही लड़ाई नहीं, हमारे पूरे उत्तराखंड की भोजन माताओं की लड़ाई है। हम तब तक लड़ेंगे जब तक कि हमारी माँगें पूरी न हों। कार्यक्रम में भेल मजदूर ट्रेड यूनियन से अवधेश, इंकलाबी मजदूर केंद्र से राजू, रंजना, प्रगतिशील महिला एकता केन्द्र से नीता, निशा, मालती, दीपमाला, प्रगतिशील भोजनमाता संगठन से चाहती देवी, सीमा, ओमवती, राखी, सोना मण्डल, गायत्री, पार्वती, रामकली, कृष्णा, पूनम, सुदेश, रजनी, मीना, रीना, माया, उषा, भगवती, गीता, शीतल, अनीता, सोनिया, कमला, शोभा, ममता, रानी, फूलमती, बेबी, मुनेश, कामनी, कोशल, सरोज, आदि शामिल हुईं।
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