7 जून। प्रकरण तेलंगाना राज्य का है, जहाँ 12 आदिवासी औरतों को गिरफ्तार करके जेल भेज दिया गया है। फिलहाल इन सभी को 14 दिन की न्यायिक हिरासत में रखने का हुक्म हुआ है। इन आदिवासी महिलाओं पर जमीन कब्जा करने का मुकदमा दायर किया गया है। आरोप लगाया गया है, कि उन्होंने गैरकानूनी तरीके से जंगल की जमीन पर कब्जा करने का प्रयास किया है। हालांकि जानकारों के अनुसार वनाधिकार कानून 2006 के आने के बाद इस तरह कब्जे आदि के आरोप लगाया जाना जितना हास्यास्पद है, उतना ही गंभीर भी है।
खबरों के अनुसार, वन अधिकारियों का कहना है कि इन महिलाओं ने जबरन जंगल की जमीन को साफ किया। इस जमीन पर ये औरतें खेती करना चाहती थीं। वन विभाग का कहना है, कि पहले आदिवासी पुरुष जमीन कब्जा करते थे। कई आदमी गिरफ्तार भी हुए जो बाद में जमानत पर छूट गए थे। लेकिन हाल फिलहाल में देखा गया है, कि औरतें को जमीन कब्जा करने के लिए इस्तेमाल किया जा रहा है।
बताया गया है, कि जिन औरतों को जेल भेजा गया है। उन्होंने जंगल में घुस कर कम से कम 2-3 हेक्टेयर भूमि को साफ कर के खेती लायक बना लिया था। अधिकारियों का कहना है, कि जनाराम जंगल का यह भाग टाइगर रिजर्व के तहत आता है। जंगल के इस हिस्से की सैटेलाइट तस्वीरें बताती हैं, कि यहाँ पर पहले खेती नहीं होती रही है। वन रेंज अधिकारी का कहना है, कि “कोइपोचिगुडा बस्ती को वन अधिकार अधिनियम के तहत मान्यता प्राप्त नहीं है।” वन अधिकारियों के अनुसार, कवल टाइगर रिजर्व के मुख्य क्षेत्र में अतिक्रमण वन्यजीवों को परेशान कर रहा है और मानव-पशु संघर्ष का कारण बन रहा है। नतीजतन उन्होंने अतिक्रमणकारियों के खिलाफ कड़े कदम उठाए हैं, जिनमें से अधिकांश आदिवासी समुदायों से हैं।
वन क्षेत्र से सटे रहने वाले लोगों ने पिछले चार-पाँच महीने से वन भूमि पर खेती करने के लिए पेड़ों को काट दिया है। जब अधिकारियों को लिंगपुर में कंपार्टमेंट 379 में पेड़ काटने का पता चला, तो वे घटनास्थल पर पहुँचे और आदिवासियों को और पेड़ काटने से रोका। द न्यू इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, आरोपियों के खिलाफ दस मुकदमे दर्ज किए गए हैं।
उधर आदिवासी सेना के प्रदेशाध्यक्ष कोवा दौलत राव आदि का कहना है, “कोइपोचिगुडा गाँव वनाधिकार कानून के तहत नहीं आता है, तो यह कैसे हुआ?” वही, रिपोर्ट के अनुसार, आदिलाबाद के सांसद और भाजपा नेता सोयम बापू राव ने 12 आदिवासी महिलाओं से मुलाकात की, जिन्हें वन अतिक्रमण के अलग-अलग मामलों में हिरासत में लिया गया था और उन्हें आदिलाबाद जिला जेल भेजा गया था। राव ने महिलाओं को साड़ी और फल दिए और वादा किया कि इस समस्या को एसटी आयोग, एनडब्ल्यूसी और केंद्र के समक्ष उठाया जाएगा।
वन अधिकारियों के अनुसार, पिछले साल मुख्यमंत्री के. चंद्रशेखर राव ने कहा था कि सरकार पट्टा जारी करेगी, तब से वन भूमि पर अतिक्रमण बढ़ गया है। आवेदन की अवधि समाप्त होने के बावजूद अधिकारियों ने समस्या के समाधान के लिए कोई कदम नहीं उठाया। प्रशासन को कोई समाधान खोजना चाहिए था।
उधर डांडेंपल्ली के कोयपोचागुडा आदिवासियों का कहना है कि वन अधिकारी गलत सूचना दे रहे हैं। उनका दावा है, कि वो कई बरस से इस जंगल में पोडु खेती करते रहे हैं। तेलंगाना में पोडु भूमि के मसले पर वन विभाग, पुलिस और आदिवासियों में संघर्ष की खबरें मिलती रहती हैं। आदिवासी कहते हैं, कि जंगल में वो बरसों से खेती करते रहे हैं। लेकिन सरकार के अधिकारी आदिवासियों के इन दावों को मानते नहीं हैं। इसकी वजह से इन इलाकों में लगातार संघर्ष की स्थिति बनी रहती है। ऐसे में सवाल वन भूमि के अतिक्रमण से ज्यादा आदिवासियों के हक और वनाधिकार कानून के अनुपालन का है जो आदिवासियों के वन भूमि पर अधिकारों को मान्यता प्रदान करता है और इस पर भी सरकारों को सोचना होगा।
(‘सबरंग इंडिया’ से साभार)