7 जून। अपने लिखित आश्वासन के विपरीत जाकर, किसान आंदोलन के दौरान हरियाणा में विभिन्न धाराओं के तहत जो केस दर्ज किए गए थे, उन्हें वापस लेने में सरकार आनाकानी कर रही है। ताजा मामला जींद जिले के नरवाना कस्बे का है। यहाँ के गाँव दनोदा कलां निवासी अशोक और जोगीराम को सदर थाना पुलिस ने नोटिस भेजा है। इसमें लिखा है, कि उक्त दोनों लोगों के खिलाफ अपराध में संलिप्त होने की विश्वसनीय सूचना प्राप्त हुई है। 10 जून को सुबह 11 बजे दोनों का सदर थाने में अनिवार्य रूप से पेश होना है। गौरतलब है, कि दनोदा कलां निवासी अशोक और जोगीराम के खिलाफ 21 अगस्त 2021 को धारा 8(बी), एनएच एक्ट 1956, 147, 149, 283 व 341 के तहत मामला दर्ज किया गया था। संयुक्त किसान मोर्चा के नेता इंद्रजीत सिंह ने कहा, किसानों के खिलाफ दर्ज मामले वापस लेने के लिए हरियाणा सरकार की नीयत ठीक नहीं है। सरकार की कथनी और करनी में अंतर दिखाई पड़ता है।
राज्य के अतिरिक्त मुख्य सचिव ने सभी जिला उपायुक्तों को लिखे अपने पत्र में कहा था, कि राज्य में 9 सितंबर 2020 के बाद किसानों पर दर्ज केस वापस लिए जाएं। हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने हरियाणा विधानसभा के शीतकालीन सत्र के अंतिम दिन सदन में किसानों पर दर्ज केस वापसी को लेकर बयान दिया था। उन्होंने सदन को बताया था, कि प्रदेश में किसान आंदोलन के दौरान कुल 276 केस दर्ज हुए थे। इनमें हत्या व दुष्कर्म के भी चार केस शामिल हैं। सीएम ने कहा था, कि हत्या व दुष्कर्म से जुड़े मामले वापस नहीं होंगे।
किसानों पर दर्ज केस वापस न लेना और आंदोलन में शामिल रहे किसानों को पुलिस का नोटिस भेजना सरासर सरकार की वादाखिलाफी है, क्योंकि जिन आश्वासनों के आधार पर संयुक्त किसान मोर्चा ने दिल्ली के बार्डरों से धरना समाप्त किया था उनमें से एक प्रमुख आश्वासन यह था कि आंदोलन के दौरान दर्ज मुकदमे वापस ले लिये जाएंगे। ये आश्वासन लिखित रूप से दिए गए थे। लेकिन सरकार ने एक बार फिर अपना किसान विरोधी रवैया उजागर किया है।
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