# संघ कार्यकर्ता की झूठी शिकायत पर मेधा पाटकर एवं अन्य 11 ट्रस्टियों पर बड़वानी में दर्ज की गई एफआईआर
# 2007 में सर्वोच्च न्यायालय ने पाया था झूठे आरोपों को निराधार
12 जुलाई। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ और भाजपा नीत सरकार फर्जी मुकदमे दर्ज कर और अपने ही लोगों से फर्जी शिकायतें कराकर जन आंदोलनों को दबाना चाहती है। संघ से जुड़े और एबीवीपी के कार्यकर्ता प्रीतमराज बड़ोले से बड़वानी में इसी तरह की शिकायत पर नर्मदा बचाओ आंदोलन की नेता मेधा पाटकर एवं नर्मदा नवनिर्माण अभियान के अन्य 11 ट्रस्टियों पर एफआईआर दर्ज की गई है। इसी तरह पूर्व में भी झूठी शिकायतें की गई थीं जिन्हें 2007 में सर्वोच्च अदालत ने भी खारिज कर दिया था ।
सोशलिस्ट पार्टी इंडिया, समाजवादी समागम, लोहिया विचार मंच, संयुक्त किसान मोर्चा, किसान खेत मजदूर संगठन, किसान मजदूर सेना, किसान संघर्ष समिति सहित इंदौर में कार्यरत 20 से ज्यादा संगठनों ने मेधा पाटकर सहित नर्मदा बचाओ आंदोलन के कार्यकर्ताओं पर दर्ज एफआईआर की कड़े शब्दों में निंदा करते हुए सरकार को चेतावनी दी है कि इस तरह के फर्जी मुकदमे दर्ज कर वह जन आंदोलनों को दबा नहीं सकती। जनता के हक में लड़नेवाले लोग इस तरह के फर्जी मुकदमों से डरनेवाले नहीं हैं और ऐसी कार्रवाइयों का जमकर विरोध किया जाएगा। सोशलिस्ट पार्टी इंडिया मध्य प्रदेश के अध्यक्ष रामस्वरूप मंत्री, लोहिया विचार मंच के प्रदेश अध्यक्ष रामबाबू अग्रवाल, एसयूसीआई के प्किरमोद नामदेव, किसान मजदूर सेना के बबलू जाधव एवं शैलेन्द्र पटेल, खेत मजदूर किसान संगठन के सोनू शर्मा, किसान संघर्ष समिति के दिनेश सिंह कुशवाह एवं छेदीलाल यादव, सोशलिस्ट महिला सभा की अध्यक्ष दुर्गा यादव, समाजवादी समागम के दयाशंकर मिश्रा, दलित मंच के मुकेश चौधरी ने आज जारी बयान में कहा कि मेधा पाटकर एवं उनके सहयोगीयों के खिलाफ दर्ज एफआईआर जन आंदोलनों की आवाज को सरकार द्वारा कुचलने की कोशिश है। उन्होंने कहा कि सरकार का उद्देश्य जन संगठनों को भयभीत कर चुप करने का है जो कभी पूरा नहीं होगा। संघर्ष जारी रहेगा।
मेधा पाटकर के प्रयासों से नर्मदा नवनिर्माण अभियान ट्रस्ट करीब 30 वर्षों से जीवनशालाएं चला रहा है। इन जीवनशालाओं से पांच हजार से अधिक आदिवासी बच्चे पढ़़कर निकल चुके हैं। जीवनशालाओं को संचालित करनेवाले ट्रस्ट का हिसाब किताब रखा गया है, जिसका हर साल ऑडिट भी कराया जाता है। जीवनशालाओं के लिए दिया गया कोई भी चंदा किसी भी राजनीतिक कार्य के लिए उपयोग में कभी नहीं लाया गया है। मेधा पाटकर द्वारा चलाए गए सभी आंदोलन संवैधानिक सिद्धांतों और मूल्यों पर आधारित है।
– रामस्वरूप मंत्री