20 अगस्त। उत्तर प्रदेश सरकार से वार्ता की घोषणा के साथ ही शनिवार को लखीमपुर में किसान का महापड़ाव 3 बजे अपराह्न समाप्त हो गया। राजापुर मंडी में पिछले तीन दिनों से चल रहे महापड़ाव में देश भर से 40 हजार किसान लखीमपुर के शहीद किसानों को न्याय दिलाने के लिए जुटे। 19 की शाम तक प्रशासन की ओर से कोई सुध नहीं ली गई। तब संयुक्त किसान मोर्चा के राष्ट्रीय एवं प्रादेशिक नेताओं ने शुक्रवार देर शाम राजापुर मंडी से जिलाधिकारी कार्यालय तक विरोध मार्च का ऐलान कर दिया। विरोध मार्च की घोषणा से जिला प्रशासन दबाब में आ गया। स्थानीय किसान नेताओं के अलावा कई शीर्ष नेताओं के साथ शनिवार 12 बजे तक वार्ताओं का दौर चलता रहा। आखिर में किसानों की ताकत के सामने जिला प्रशासन को झुकना पड़ा और राज्य सरकार से वार्ता की घोषणा की।
इसी दौरान जिलाधिकारी के माध्यम से प्रधानमंत्री के नाम ज्ञापन सौंपा गया। ज्ञापन के जरिए सरकार के वायदे को एक बार फिर याद दिलाया। मांगपत्र में लखीमपुर खीरी जिला के तिकोनिया में चार किसानों और एक पत्रकार की हत्या के मुख्य साजिशकर्ता केन्द्रीय गृह राज्यमंत्री अजय मिश्र टेनी की मंत्रिमंडल से बर्खास्तगी और गिरफ्तारी, इस हत्याकांड में जेल में बंद निर्दोष किसानों की तत्काल रिहाई और उनके ऊपर मढ़े गए केसों की वापसी, शहीद किसान परिवारों एवं घायल किसानों को मुआवजा देने के सरकार के वादे पूरा करने की मांग की।
कई दशकों से देश भर के किसानों की प्रमुख मांग सभी फसलों के ऊपर स्वामीनाथन कमीशन की सिफारिशों के आधार पर सी-2 +50% के फार्मूले से एमएसपी की कानूनी गारंटी को प्रमुखता से उठाया गया। केन्द्र सरकार द्वारा एमएसपी पर गठित कमेटी व उसका घोषित एजेंडा किसानों द्वारा प्रस्तुत मांगों के विपरीत बताते हुए इस कमेटी को रद्द करके सभी फसलों की बिक्री एमएसपी पर होने की गारंटी के लिए समिति का दोबारा गठन, किसान आन्दोलन के दौरान केन्द्र शासित प्रदेशों व अन्य राज्यों में किसानों के ऊपर लादे केसों की वापसी, और जनविरोधी बिजली बिल 2022 वापसी की मांग भी शामिल रही।
राष्ट्रीय मांगों के अलावा यूपी के किसानों की समस्याओं के समाधान के लिए मुख्यमंत्री के नाम भी ज्ञापन सौंपा गया। इस ज्ञापन में राज्य की सभी गन्ना मिलों पर किसानों के पेमेन्ट का ब्याज समेत तत्काल भुगतान, कृषि कनेक्शनों पर मीटर लगाना बंद करते हुए राज्य सरकार द्वारा कृषि के लिए मुफ्त बिजली, घरेलू बिजली कनेक्शनों पर प्री पैड मीटर लगाने का आदेश वापस लेते हुए सभी घरेलू बिजली उपभोक्ताओं को 300 यूनिट प्रतिमाह मुफ्त बिजली देने का चुनावी वादा पूरा करने, कई पीढ़ियों से खेत जोत रहे किसानों को उनकी जमीन से जंगल विभाग की संपत्ति के नाम पर बेदखल करना बंद करने और उन्हें मालिकाना हक देने तथा आवारा पशुओं की समस्या के समाधान की मांग रखी। इसके अलावा सभी सूखाग्रस्त जिलों में प्रभावित किसानों को समुचित मुआवजा देने की मांग भी की।
6 सितंबर को दिल्ली में संयुक्त किसान मोर्चा की राष्ट्रीय बैठक में आन्दोलन की आगामी रणनीति पर विचार होगा जिसमें 3 अक्टूबर को लखीमपुर के चार किसानों और एक पत्रकार की शहादत का एक साल पूरा होने पर कोई देशव्यापी कार्यक्रम का निर्णय भी लिया जा सकता है।