24 नवम्बर। बीजेपी शासित राज्यों की तरह अन्य राज्य भी बेहतर स्वास्थ्य सुविधाओं को लेकर बड़े-बड़े दावे करते हैं। लेकिन ऐसे मामले सामने आ जाते हैं, जो ऐसे दावे की पोल खोलते हैं। ऐसा ही एक मामला आंध्र प्रदेश के तिरुपति से सामने आया है। दरअसल यहाँ कथित तौर पर कर्मचारियों द्वारा अस्पताल में भर्ती करने से इनकार किए जाने के बाद महिला को 100 बिस्तरों वाले तिरुपति प्रसूति अस्पताल के सामने बच्चे को जन्म देने के लिए मजबूर होना पड़ा। अस्पताल से बाहर आते ही महिला को सड़क पर प्रसव पीड़ा होने लगी तो अजनबी लोग मदद के लिए सामने आ गए। हालांकि, तिरुपति जिले के कलेक्टर के.वी. रमन रेड्डी ने कहा, जाँच में पता चला है कि यह आरोप गलत है। कलेक्टर ने मंगलवार को कहा कि महिला मानसिक रूप से अस्थिर थी और अस्पताल क्षेत्र में बेवजह घूम रही थी। पेट में तेज दर्द होने के कारण वह सड़क पर गिर गई। कलेक्टर ने अस्पताल अधीक्षक द्वारा सौंपी गई जाँच रिपोर्ट का हवाला देते हुए कहा, कि बिलासपुर की रहने वाली 21 वर्षीय महिला ने एक स्वस्थ्य बच्ची को जन्म दिया और दोनों की अस्पताल में देखभाल की जा रही है। उन्होंने कहा कि रविवार शाम करीब चार बजकर 10 मिनट पर महिला श्री वेंकटेश्वर मेडिकल कॉलेज के छात्रावास के पास सड़क पर गिर गई थी। स्थानीय लोगों ने उसे देखा और पाया, कि वह प्रसव पीड़ा से गुजर रही है। अस्पताल के कर्मचारियों के वहाँ पहुँचने से पहले उसने स्थानीय लोगों की मदद से बच्ची को जन्म दे दिया।
लेकिन ‘वायर’ की रिपोर्ट के मुताबिक, घटना का एक वीडियो सोशल मीडिया में वायरल हो गया। जिसमें देखा जा सकता है कि महिला प्रसव पीड़ा से गुजर रही है। कुछ महिलाएं उसके ऊपर चादर डाले हुए हैं और एक प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र का कर्मचारी बच्चे को जन्म देने में उसकी मदद कर रहा है। महिला की पहचान कंथारी के रूप में की गई है, और उन्हें 100 बिस्तर वाले तिरुपति प्रसूति अस्पताल में भर्ती करने से मना कर दिया गया था।
आरोप लगाया गया है, कि अस्पताल के कर्मचारियों ने उसे अस्पताल के अंदर नहीं जाने दिया, जबकि प्रशासन ने दावा किया है, कि महिला को खुद नहीं पता था कि वह गर्भवती थी, और उसने पहले अस्पताल से परामर्श नहीं किया था। हालांकि अस्पताल के कर्मचारी बाद में महिला और बच्चे को अस्पताल के अंदर ले गए।
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