देश के एम्स खुद वेंटिलेटर पर

0

27 नवम्बर। मोदी सरकार अपने आठ साल पूरा करने के मौके पर स्वास्थ्य के क्षेत्र में किए गये कामों के साथ-साथ मेडिकल एजुकेशन पर भी कई तरह के दावे कर रही है। वर्ष 2014 और 2022 के तुलनात्मक आँकड़े पेश किये जा रहे हैं। सरकार का कहना है, कि मेडिकल कॉलेजों की संख्या में 55% की बढ़ोत्तरी हुई है। सीटों में 80% की बढ़ोत्तरी की गई है। इंफ्रास्ट्रक्चर और मानव संसाधनों के विस्तार के दावे किए जा रहे हैं। महामारी के दौरान गंगा में तैरती लाशों के दिल दहलाने वाले दृश्य तो आप देख ही चुके हैं। कोविड मौतों के आँकड़े को लेकर विश्व स्वास्थ्य संगठन और भारत सरकार आमने-सामने हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन ने अपनी रिपोर्ट में कहा है, कि भारत में कोविड से संबंधित मौतों का आँकड़ा 47 लाख है। लेकिन भारत सरकार ने इस रिपोर्ट का खंडन किया और किनारा कर लिया।

असल में सच्चाई यह है कि भारत की स्वास्थ्य व्यवस्था न केवल बुरी तरह से चरमरा चुकी है, बल्कि भारत में स्वास्थ्य इंफ्रास्ट्रक्चर और मेडिकल एजुकेशन बुरे हालात से गुजर रहे हैं। इस बात का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है, कि एक भी एम्स में पूरा स्टॉफ नहीं है। इसी बीच गुजरात चुनाव के दौरान एक और सनसनीखेज खबर है, कि गुजरात के एम्स में 90 प्रतिशत पद खाली हैं। विदित है, कि स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण राज्यमंत्री डॉ. भारती प्रवीन द्वारा 15 मार्च 2022 को राज्यसभा में पेश किये गये रिपोर्ट के अनुसार, देश में कुल 19 एम्स हैं। इनमें शिक्षकों के 4,209 स्वीकृत पद हैं, जिनमें से मात्र 1,998 पद ही भरे गये हैं और 2,211 पद खाली पड़े हैं। कुल पदों के लगभग आधे यानी 47.4 प्रतिशत पद खाली पड़े हैं। इसी तरह से सीनियर रेजिडेंट के 2,794 पद स्वीकृत हैं, जिनमें से 1,190 पद यानी 42.5 फीसदी पद खाली पड़े हैं। वहीं जूनियर रेजिडेंट के 2,638 पद स्वीकृत हैं, जिनमें से 470 पद खाली पड़े हैं। इन सभी 19 एम्स में गैर-शिक्षक कर्मचारियों के 35,346 पद स्वीकृत हैं, जिनमें से 17,804 पद खाली पड़े हैं। यह इस बात का पूख्ता सबूत है, कि देश के किसी भी एम्स में शिक्षकों की पर्याप्त संख्या नहीं है।

गुजरात विधानसभा चुनाव के चलते बीजेपी बड़े-बड़े दावे कर रही है। लेकिन जमीनी सच्चाई क्या है यह नहीं बता रही है। असल में जिस एम्स का गुणगान चुनावी सभाओं में किया जा रहा है, वो एम्स खुद वेंटिलेटर पर है। स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय की ओर से जारी रिपोर्ट अनुसार राजकोट एम्स में टिचिंग फैकल्टी के 183 पद स्वीकृत हैं, जिनमें से मात्र 43 पदों पर भर्ती की गई है और 140 पद खाली पड़े हैं। सीनियर रेजिडेंट के 40 पद स्वीकृत हैं, जिनमें से मात्र 15 पद भरे गये हैं, और 25 पद खाली पड़े हैं। जूनियर रेजिडेंट के 40 पद स्वीकृत हैं, जिनमें से मात्र 28 पद भरे गये हैं, और 12 पद खाली पड़े हैं। यानी कुल 263 पद स्वीकृत हैं जिनमें से 177 पद यानी 67 फीसदी पद खाली पड़े हैं। विदित हो, कि एम्स जैसे मेडिकल संस्थानों का मकसद ना सिर्फ अच्छा इलाज उपलब्ध कराना होता है, बल्कि अच्छे डाक्टर तैयार करना, गुणवत्तापरक मेडिकल शिक्षा उपलब्ध करना और स्वास्थ्य के क्षेत्र में उच्च स्तर का शोध करना भी होता है। लेकिन इनमें से कोई भी एम्स इस कसौटी पर खरा उतरता नजर नहीं आ रहा है।


Discover more from समता मार्ग

Subscribe to get the latest posts sent to your email.

Leave a Comment