31 जनवरी। केंद्रीय ट्रेड यूनियनों के आह्वान पर महात्मा गांधी के शहादत दिवस पर मावलंकर हॉल, नई दिल्ली में राष्ट्रीय सम्मेलन का आयोजन किया गया। हिंद मजदूर सभा के महासचिव हरभजन सिंह सिद्धू ने श्रमिकों के इस संयुक्त राष्ट्रीय सम्मेलन को संबोधित करते हुए चेतावनी दी, कि सरकार किसान और मजदूर विरोधी नीतियाँ बनाना बंद करे अन्यथा सरकार को इसके परिणाम भुगतने होंगे। केंद्र में मोदी के नेतृत्व वाली भाजपा सरकार द्वारा अपनाई जा रही नीतियों के कारण देश में श्रमिकों और अन्य आम लोगों की स्थिति बद से बदतर होती जा रही है। ये नीतियां न केवल मजदूर विरोधी, किसान विरोधी और जनविरोधी हैं, बल्कि राष्ट्रविरोधी भी हैं। ये हमारी राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था और हमारे देश की एकता और अखंडता के लिए विनाशकारी साबित हुई हैं। इन विनाशकारी नीतियों से ‘देश और लोगों को बचाने’ के लिए संयुक्त कार्यों की एक रूपरेखा भी बनायी गयी।
राष्ट्रीय सम्मेलन की प्रमुख माँगें –
# त्रिपक्षीय भारतीय श्रम सम्मेलन अनिवार्य रूप से साल में कम से कम एक बार आयोजित किया जाए। 2015 के बाद से यह सम्मेलन आयोजित नहीं किया गया है।
# राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था को पुनर्जीवित करने के लिए न्यूनतम मजदूरी में वृद्धि की जाए।
# भोजन, दवाओं और आवश्यक वस्तुओं पर जीएसटी/ अप्रत्यक्ष करों में कमी की जाए तथा कल्याणकारी योजनाओं पर जीएसटी को खत्म किया जाए।
# मनरेगा में कार्यदिवस साल में 200 दिनों तक बढ़ाया जाए, पारिश्रमिक में वृद्धि की जाए तथा इसी तरह की योजना शहरी क्षेत्रों में भी लाई जाए।
# संविदाकर्मियों को न्यूनतम वेतन के साथ सरकारी पदों पर स्थायी किया जाए।
# ई-श्रम पोर्टल पर सभी 28 करोड़ पंजीकृत असंगठित श्रमिकों के बच्चों की देखभाल और शिक्षा प्रदान की जाए।
# घरेलू कामगारों को सुरक्षा के साथ-साथ सामाजिक सुरक्षा भी प्रदान की जाए।
# प्रवासी श्रमिकों के लिए राशन कार्ड और सामाजिक सुरक्षा लाभों में पोर्टेबिलिटी सुनिश्चित की जाए।
# नई पेंशन प्रणाली(एनपीएस) खत्म की जाए और पुरानी पेंशन योजना(ओपीएस) को बहाल किया जाए।
# सार्वजनिक उपक्रमों, विभागीय उपक्रमों में निजीकरण बंद किया जाए और राष्ट्रीय मुद्रीकरण पाइपलाइन योजना को खत्म किया जाए।
# उद्योगों में बड़े पैमाने पर चल रही ठेकादारी प्रथा समाप्त की जाए।
# फसलों के लिए एमएसपी सुनिश्चित की जाए।