उप्र में बिजलीकर्मियों की हड़ताल; सरकार ने 650 कर्मियों को नौकरी से निकाला

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18 मार्च। ‘उत्तर प्रदेश विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति’ के आह्वान पर उप्र में 14सूत्री माँगों को लेकर बिजलीकर्मियों की 72 घण्टों का हड़ताल जारी है, और इस दौरान प्रदेश में जिला व तहसील प्रशासन प्राइवेट टेक्निकल जानकारों के सहयोग से बिजली सप्लाई को सुचारु रूप से चलाने का भरसक प्रयास कर रहा है। लगातार बिजली गुल होने से के कारण बिजली, पानी सप्लाई बंद है। हजारों गाँव अंधेरे में हैं। वहीं इस दौरान बिजली विभाग के कर्मियों और पुलिस में तकरार भी हुई।

‘उत्तर प्रदेश विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति’ के संयोजक शैलेंद्र दुबे ने मीडिया के हवाले बताया कि पूर्वांचल डिस्कॉम में 75 फीडर बंद हैं। हमारे विरोध शुरू होने के बाद से पूरे राज्य में भारी संकट की स्थिति पैदा हो गई है, और आधे से ज्यादा जिलों में बिजली नहीं है। वहीं इस दौरान सरकार ने दमन का सहारा लिया है। कर्मचारियों की हड़ताल समाप्त करने के लिए प्रयागराज, संभल और महराजगंज समेत कई अलग-अलग शहरों से अब तक लगभग 50 कर्मचारियों को हिरासत में लिया गया है, और 650 संविदाकर्मियों की सेवा को समाप्त कर दिया है।

वहीं कर्मचारियों को उपस्थित न करा पाने पर 7 एजेंसियों पर केस दर्ज कर दिया है, जिन एजेंसियों पर केस हुआ उन्हें प्रतिबंधित भी किया गया है। वहीं राज्य भर में आवश्यक सेवा रखरखाव अधिनियम(एस्मा) लागू किया गया है। यदि हड़ताल में शामिल कर्मचारी, बिजली सेवाओं के संचालन में किसी भी तरह के व्यवधान का प्रयास करते हैं, तो उन पर एस्मा के तहत मामला दर्ज किया जाएगा। इसपर प्रतिक्रिया देते हुए दुबे ने कहा, हम अपराधी नहीं हैं, और कुछ भी असंवैधानिक नहीं कर रहे हैं, इसलिए हम एनएसए से नहीं डरते हैं। यूपीपीसीएल के शीर्ष प्रबंधन की हठधर्मिता के कारण हमें हड़ताल पर जाने के लिए मजबूर होना पड़ा है।

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