इंदौर में नीलामी में गेहूं के भाव नहीं मिलने से किसानों का हंगामा

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समर्थन मूल्य से ही शुरू होगी नीलामी, कम भाव मिले तो किसानों की स्वीकृति होने पर ही अनुबंध पत्र कटेगा

इंदौर। मंगलवार को सुबह लक्ष्मीनगर अनाज मंडी में गेहूं की भारी आवक के बाद जब नीलामी शुरू हुई तो 1600 -1700 रुपए कुंतल में गेहूं की नीलामी होने पर किसान आक्रोशित हो गए। मंडी में करीब 500 ट्रैक्टर ट्राली और अन्य वाहनों में भारी मात्रा में गेहूं आया था। किसानों को अपनी उपज का भाव नहीं मिलने से किसान आक्रोशित हो गए और मंडी गेट का ताला लगाकर सड़क पर चक्काजाम कर दिया। करीब 2 घंटे चक्का जाम चलने के बाद मंडी सचिव नरेश परमार और एसडीएम मुनीश सिकरवार की मौजूदगी में संयुक्त किसान मोर्चा और किसान संगठनों के साथ त्रिपक्षीय बैठक हुई। जिसमें निर्णय हुआ कि नीलामी की शुरुआती बोली सरकार द्वारा घोषित समर्थन मूल्य 2125 रु.से ही शुरू होगी। उसके बाद क्वालिटी कमजोर हुई तो नीलामी यदि कम में होती है तो किसान की स्वीकृति लेने के बाद ही गेहूं तोला जाएगा। किसान की मर्जी के बगैर गेहूं नहीं बिकेगा।

उक्त जानकारी देते हुए संयुक्त किसान मोर्चा के रामस्वरूप मंत्री एवं बबलू जाधव ने बताया कि करीब 4 घंटे के हंगामे के बाद नीलामी शुरू हुई। सैकड़ों की तादाद में किसानों की परेशानी का कारण कार्टेल बनाकर व्यापारियों द्वारा किसानों की उपज का सही दाम नहीं दिया जाना है। इसके पूर्व उज्जैन मंडी में भी लोकवन गेहूं 1700 रु.पर बिकने पर किसानों ने चक्का जाम किया था।

मंगलवार को हुए के इस आंदोलन में किसान नेता रामस्वरूप मंत्री, बबलू जाधव, विकास परमार, विशाल राठौर, कमल यादव, विशाल मकवाना, अजय सहित बड़ी संख्या में किसान शामिल हुए। बाद में मंडी सचिव नरेश परमार के कक्ष में एसडीएम मनीष सिकरवार की मौजूदगी में करीब 1 घंटे बैठक चली। जिसमें किसान संगठनों ने अपनी बात रखते हुए कहा कि सरकार ने 2125 रु.को समर्थन मूल्य घोषित कर रखा है तो नीलामी उसी भाव से शुरू होनी चाहिए। यदि फिर गेहूं कमजोर वक्वालिटी का हो और व्यापारी कम बोली लगाता है तो किसान की स्वीकृति के बाद ही नीलामी होनी चाहिए। मीटिंग के बाद नीलामी शुरू हुई जो शाम तक चली और बड़ी मात्रा में गेहूं बगैर बिके ही रह गया।

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