6 अप्रैल। राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग के तर्ज पर पूरे भारत में 25 राज्य मानवाधिकार आयोग स्थापित हैं। इंडिया जस्टिस रिपोर्ट-2022 के मुताबिक, इन राज्य आयोगों में मानव संसाधन की भारी कमी है। इससे आयोगों की कार्यक्षमता पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है। वर्ष 2020-21 में, 13 राज्यों में एसएचआरसी स्टाफ में 25 फीसदी से अधिक रिक्तियां थीं। रिपोर्ट के मुताबिक, वर्ष 2022 तक पंजाब को छोड़कर सभी राज्यों के राज्य मानवाधिकार आयोगों में अध्यक्ष थे। जबकि वहीं छत्तीसगढ़, झारखंड और मणिपुर राज्य कार्यवाहक अध्यक्ष के अधीन चल रहे थे। उत्तर प्रदेश, मणिपुर और झारखंड राज्य में बिना किसी सदस्य के काम चल रहा है।
रिपोर्ट के मुताबिक, वर्ष 2020-21 में सभी राज्य मानवाधिकार आयोगों में कुल 1,02,608 शिकायतें दर्ज हुईं थीं। आठ राज्य मानवाधिकार आयोगों ने प्राप्त शिकायतों में से 60 फीसदी से कम का निपटारा किया, जिनमें मेघालय(28 फीसदी) ने सबसे कम शिकायतों का निपटारा किया। इसके बाद महाराष्ट्र(29 फीसदी), राजस्थान(30 फीसदी) और ओड़िशा (48 फीसदी) का नंबर आता है। बिहार(99 फीसदी) और छत्तीसगढ़(94 फीसदी) ने अपने पास आए लगभग सभी मामलों का निपटारा कर दिया। 2020-21 के अंत में कुल 33,312 मामले बिना निपटान के रहे।