30 अप्रैल। मधु लिमये जन्मशती समापन समारोह आज रविवार को नयी दिल्ली में कांस्टीट्यूशन क्लब के एनेक्सी सभागार में होने जा रहा है। इसमें बड़ी संख्या में समाजवादी कार्यकर्ताओं, बुद्धिजीवियों और अन्य जन सरकारी राजनीतिकों तथा बौद्धिकों, शिक्षाविदों, संस्कृतिकर्मियों के शामिल होने की संभावना है।
जब मधु लिमये जन्मशती शुरू हुई थी तब दुनिया भर में कोरोना का आतंक था। भारत में भी। हर तरह के जमावड़े पर रोक लग चुकी थी। लिहाजा मधु लिमये जन्मशती का शुभारंभ एक आनलाइन परिचर्चा से करना पड़ा था। अलबत्ता जब कोरोनाजन्य बंदिशें हटीं तब बिहार, उत्तर प्रदेश, मध्यप्रदेश, राजस्थान, महाराष्ट्र, गोवा समेत कई राज्यों में संगोष्ठी, सम्मेलन आयोजित किये गए।

इसके अलावा, एक महत्त्वपूर्ण काम समाजवादी समागम की ओर से हुआ, वह था डॉ आनंद कुमार के संपादन में मधु लिमये जन्म शताब्दी स्मारिका का प्रकाशन। करीब दो सौ पृष्ठों की इस स्मारिका में जहाँ बहुत-से समाजवादी बौद्धिकों के लेख और संस्मरण हैं वहीं मधु जी के भी कुछ लेख और कुछ दुर्लभ फोटो हाजिर हैं। इस सिलसिले में आईपीएल यूनिवर्सिटी ग्वालियर द्वारा गणेश मंत्री की किताब ‘गोवा मुक्ति संघर्ष’ का पुनर्प्रकाशन भी उल्लेखनीय है।
आज 30 अप्रैल रविवार को आयोजित जन्मशती समापन समारोह मधु जी की वैचारिक और राजनीतिक विरासत के मद्देनजर और भी मायने रखता है। जिन सांप्रदायिक ताकतों के प्रति मधु आगाह करते रहे आज वे न सिर्फ देश की सत्ता पर काबिज हैं बल्कि देश के संविधान और लोकतंत्र को नेस्तनाबूद करने पर आमादा हैं। इस खतरे को नाकाम करने के लिए मधु जी के वारिस क्या करते हैं, यह एक अहम सवाल है।
समापन समारोह दोपहर 2 बजे से शाम 6 बजे तक चलेगा। यह दो सत्र में होगा। पहले सत्र में विदुषी कलापिनी कोमकली (पंडित कुमार गंधर्व की सुपुत्री) कबीर गायन प्रस्तुत करेंगी। दूसरे सत्र में आमंत्रित वक्ता समकालीन मसलों पर अपने विचार रखेंगे।
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