29 मई। नरेंद्र मोदी की अगुआई वाली कायर भाजपा सरकार ने 28 मई को संयुक्त किसान मोर्चा द्वारा समर्थित महिला पहलवानों के लोकतांत्रिक विरोध को कुचलने के लिए परसों से दिल्ली की सीमाओं को बंद कर दिया, कई कार्यकर्ताओं को गिरफ्तार किया और कई को नजरबंद कर दिया। किसानों और महिलाओं को दिल्ली पहुँचने से रोकने के लिए दिल्ली की सीमाओं को बंद कर दिया गया। विडंबना यह है, कि जिस दिन प्रधानमंत्री नए संसद का उदघाटन कर रहे थे, देश ने महिला पहलवानों के खिलाफ अभूतपूर्व दमन और बल का प्रयोग देखा। यौन उत्पीड़न के आरोपी भाजपा सांसद बृजभूषण शरण सिंह के खिलाफ महिला पहलवानों के संघर्ष में उनके समर्थन में आए अन्य खिलाड़ी, महिला, और किसानों को पुलिस द्वारा, राष्ट्रीय झंडे के प्रति अनादर दिखाते हुए, घसीटकर विभिन्न पुलिस स्टेशनों पर ले जाया गया।
विनेश फोगाट, साक्षी मलिक, बजरंग पूनिया और भारत के लिए पदक जीतने वाले अन्य खिलाड़ियों के साथ मारपीट की गयी, उन्हें बिना किसी उकसावे के गिरफ्तार कर लिया गया। अब तक उनके ठिकाने की कोई खबर नहीं है। जंतर मंतर पर उनके टेंट को पुलिस द्वारा उखाड़ दिया गया। सुभाषिनी अली, जगमती संगवान, एनी राजा, पूनम कौशिक, मैमून मोल्ला, सहित विभिन्न महिला संगठनों के नेताओं और महिला किसान नेता चरणजीत कौर धुरियन और दविंदर कौर हरदासपुरा और अन्य को हिरासत में ले लिया गया। संयुक्त किसान मोर्चा का मानना है, कि यह भाजपा की महिला-विरोधी और अलोकतांत्रिक चरित्र को उजागर करता है, और दर्शाता है कि यौन उत्पीड़न के आरोपी की रक्षा के लिए वे कितना गिर सकते हैं। यह प्रधानमंत्री के ‘बेटी बचाओ’ के नारे के खोखलापन को दर्शाता है।
महिला सम्मान महापंचायत में भाग लेने के लिए महिला पहलवानों के साथ हजारों लोग एकजुट हो रहे थे। इस महापंचायत को कुचलने के दमन का सहारा लिया गया और हजारों लोगों को रोहतक, हिसार, भिवानी, जिंद, फतेहबाद, संपाला, पलवल, गुड़गांव और अन्य स्थानों में गिरफ्तार किया गया। पंजाब की महिलाओं और किसानों को नरवाना के पास पंजाब-हरियाणा सीमा पर हिरासत में लिया गया। उन्होंने विरोध में राष्ट्रीय राजमार्ग को जाम कर दिया। अंबाला शहर के गुरुद्वारा मांजी साहिब में सैकड़ों लोगों को हिरासत में लिया गया। कई किसानों को सिंघु बार्डर के पास हिरासत में ले लिया गया, और सोनीपत के पुलिस स्टेशनों पर ले जाया गया। लगभग हजार की संख्या में टिकरी सीमा पर मार्च करने वाले किसानों को भी हिरासत में लिया गया।
एसकेएम नेता राकेश टिकैत और 2000 से अधिक किसान गाजीपुर सीमा पर पहुँचे, जहाँ उन्हें रोक दिया गया। किसानों को रेलवे स्टेशनों और बस स्टैंडों से भी हिरासत में लिया गया। एसकेएम ने सभी लोकतांत्रिक वर्गों से विरोध में उठ खड़े होने का आह्वान किया है। एसकेएम ने मोदी सरकार को चेतावनी दी है, कि जब तक यौन उत्पीड़न के दोषियों को गिरफ्तार और दंडित नहीं किया जाता है, तब तक संघर्ष को और तेज किया जाएगा और आगे बढ़ाया जाएगा।