7 जुलाई। मध्यप्रदेश में स्वास्थ्य संबंधी जन सरोकारी मुद्दों पर पहल करने वाले जन स्वास्थ्य अभियान, मध्यप्रदेश ने राज्य के 13 मेडिकल कालेजों की पैथोलॉजी, माइक्रोबायोलॉजी, वायरोलॉजी लैब के 100 करोड़ से ज्यादा के उपकरणों/मशीनों के साथ-साथ प्रत्येक कॉलेज में 5 से 8 हजार वर्ग फुट का इन्फ्रास्ट्रक्चर निजी कंपनी को मुफ्त में सौंपे जाने के निर्णय का विरोध किया है तथा प्रदेश के मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर यह निर्णय वापस लेने की मांग की है।
ज्ञात हो कि मध्यप्रदेश सरकार ने हाल में ही प्रदेश के 13 मेडिकल कॉलेजों की इन जाँच सेवाओं को निजी हाथों में देने का निर्णय लिया है और सबसे महत्त्वपूर्ण तथ्य यह है कि डॉक्टर, लैब टेक्नीशियन के साथ ही उसके रखरखाव का खर्चा सरकार वहन करेगी और मरीजों की जाँचों की दरें बढ़ाने का अधिकार भी निजी कंपनी को दिया जा रहा हैं। यानी पूरा ढाँचा व व्यवस्थाएं सरकार की और फायदा सीधे निजी कंपनी को।
‘जन स्वास्थ्य अभियान, मध्यप्रदेश’ के अमूल्य निधि, एस. आर. आज़ाद, राकेश चांदौरे, धीरेंद्र आर्य, स्मृति शुक्ला ने बताया कि शासन के इस प्रकार के अनुबंध से आम जनता का ही नुकसान होगा। खबर के अनुसार जाँच दरों में 200% से 700% तक बढ़ोत्तरी की संभावना है। वहीं सरकार प्रदेश के द्वितीय व तृतीय स्तर के शहरों में स्वास्थ्य क्षेत्र में निजी स्वास्थ्य सेवा प्रदाताओं की भागीदारी को सार्वजनिक स्वास्थ्य संस्थानों में बढ़ाने पर भी विचार कर रही हैं।
जन स्वास्थ्य अभियान, मध्यप्रदेश ने सरकार के इस कदम का विरोध करते हुए प्रदेश के मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर यह निर्णय वापस लेने की मांग की है और प्रदेश में स्वास्थ्य क्षेत्र में निजी भागीदारी को समाप्त कर सार्वजनिक स्वास्थ्य सेवाओं को मजबूत करने की अपेक्षा की है।
(सप्रेस)
Discover more from समता मार्ग
Subscribe to get the latest posts sent to your email.