18 जुलाई। 15 जुलाई को कांस्टीट्यूशन क्लब, नई दिल्ली में संयुक्त युवा मोर्चा के राष्ट्रीय अधिवेशन और 16-17 जुलाई को दिल्ली में राष्ट्रीय कार्यकारिणी की मीटिंग में रोजगार अधिकार कानून बनाने की मांग उठी थी। रोजगार अधिकार और एक करोड़ रिक्त पदों को भरने की मांग को लेकर देश भर में सितंबर-अक्टूबर में युवा महापंचायतें आयोजित की जाएंगी। देशव्यापी अभियान की शुरुआत प्रयागराज में युवा महापंचायत से होगी। उत्तर प्रदेश में लखनऊ, वाराणसी समेत प्रमुख शहरों में युवा पंचायतें होंगी।
संयुक्त युवा मोर्चा के सम्मेलन में पारित प्रस्ताव में रोजगार अधिकार कानून बनाने, एक करोड़ रिक्त पदों को भरने, आउटसोर्सिंग और रेलवे, पोर्ट, बैकिंग, बीमा, बिजली-कोयला, शिक्षा-स्वास्थ्य जैसे महत्वपूर्ण क्षेत्रों में निजीकरण पर रोक लगाने की मांग की गई। अधिवेशन में मानसून सत्र में रोजगार अधिकार कानून के लिए विधेयक लाने की भी केंद्र सरकार से मांग की गई। विपक्षी दलों से भी अपील की गई कि संसद में युवाओं के इन ज्वलंत मुद्दों को उठाएं।
दरअसल आज सरकारें नागरिकों को गरिमामय जीवन सुनिश्चित करने के संवैधानिक दायित्व से पल्ला झाड़ रही हैं। जबकि अनुच्छेद 41 में स्पष्ट रूप से उल्लेख है कि रोजगार गारंटी सुनिश्चित करना राज्य का दायित्व है। बेकारी, वरिष्ठ नागरिकों को पेंशन, बीमारी आदि में सामाजिक सुरक्षा का भी दायित्व राज्य का है। इसी तरह अनुच्छेद 39 का आशय है कि संसाधनों पर नागरिकों का हक है, जो मिलना चाहिए।
संयुक्त युवा मोर्चा ने इलाहाबाद विवि में छात्रों पर जारी दमन की निंदा करते हुए कहा कि एक तरफ विश्वविद्यालय द्वारा परिसर में छात्र के बेहोश होने के बाद प्राथमिक उपचार व एंबुलेंस की उपलब्धता सुनिश्चित न कर संवेदनहीनता बरती गई वहीं दूसरी ओर छात्र की मौत के बाद छात्रों के शांतिपूर्ण आंदोलन पर बर्बर दमन किया जा रहा है। इस दमन पर तत्काल रोक लगनी चाहिए।
– राजेश सचान
संयोजक, युवा मंच
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