22 जुलाई। छत्तीसगढ़ के धमतरी में 23 सूत्री माँगों को लेकर सर्व आदिवासी समाज आंदोलन की राह पर है। सर्व आदिवासी समाज ने मणिपुर में हुई हिंसा और युवतियों के साथ बर्बरता की कड़ी निंदा की है। विदित हो, कि ‘हसदेव बचाओ आंदोलन’ में शामिल सर्व आदिवासी समाज, गोंडवाना गोंड़ महासभा सहित अन्य संस्थाओं के खिलाफ एक साल बाद पुलिस ने एफआईआर दर्ज की है, जिसके विरोध में आदिवासी समाज लामबंद हो गया है। इसके साथ ही आदिवासी समाज पेसा एक्ट में संशोधन और पाँचवीं अनुसूची क्षेत्र में स्थानीय आरक्षण, जिला रोस्टर लागू करने की माँग पर डटा है।
‘सर्व आदिवासी समाज’ ने ईटीवी भारत न्यूज के हवाले से बताया, कि छत्तीसगढ़ में आदिवासी समाज जंगल में रहते हुए प्राकृतिक रूप से जीवकोपार्जन करते हैं। सरकार सड़क और उद्योग के नाम पर आदिवासियों की जमीन हड़प रही है। सरगुजा क्षेत्र के हसदेव में अडानी को लाभ देने के लिए लाखों पेड़ों की बलि चढ़ाई गई। विरोध करने पर समाज के लोगों को परेशान करने के लिए अडानी एंड कंपनी के इशारे पर राज्य सरकार आदिवासियों के खिलाफ केस दर्ज करा रही है। आदिवासियों का शोषण हो रहा है। है। अपनी संवैधानिक माँगों को लेकर आदिवासी समाज लगातार लड़ाई रहा है, लेकिन गूंगी बहरी सरकार कोई कार्रवाई नहीं कर रही है।
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