हनुमान पुराण – 5

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Hanuman

— विमल कुमार —

हनुमान – गुडमार्निंग प्रभु ! क्या आपने अयोध्या में अपने राजभवन के कागजात दुरुस्त बनवाए हैं? क्या राजस्व विभाग के रिकॉर्ड में आपके भवन की जमीन चढ़ी हुई है?
राम – हनुमान ! तुम इतने सालों बाद अचानक यह सब क्यों पूछ रहे हो? आखिर क्या हो गया है? मामला क्या है? मुझे तुम्हारी पहेली समझ में नहीं आ रही है।
हनुमान – प्रभु मैं इसलिए पूछ रहा हूं क्योंकि हो सकता है कि अमृत काल में आपको आपके भवन से निकाल बाहर कर दिया जाए। उस पर रेलवे का कब्जा बता दिया जाए।आपको सड़क पर सारे समान के साथ फेंक दिया जाए।
राम – तुम भी कैसी बातें करते हो हनुमान! यह रेलवे वाले कहां से आ गए?
हनुमान – क्या आपको मालूम नहीं बनारस में राजघाट से सर्व सेवा संघ के गांधीवादियों को निकाल बाहर कर दिया गया। गांधी की आत्मा भी कराह रही है। अब गांधीजी की मूर्ति भी अपने लिए किराए का कमरा ढूंढ़ रही है ताकि वह चैन से रह सके।
राम – यह क्या खबर सुना रहे हो? यह तो बहुत बुरा हुआ।
हनुमान – हां प्रभु! बहुत बुरा हुआ। इतने सालों से गांधीवादी वहां रह रहे थे और वहां से उनको बाहर कर दिया गया। अब बताया जा रहा है कि वह जमीन रेलवे की है यानी अमृत काल में विनोबा भावे, जयप्रकाश नारायण जैसे लोगों को झूठा बता दिया गया जिनकी बदौलत वहां सर्व सेवा संघ की स्थापना हुई थी। अब तो कुछ भी हो सकता है। चायवाले की लीला अपरंपार है। वह तो चमत्कारी पुरुष है। उनके चमत्कार के सामने आपका चमत्कार फीका है। आपने इतनी लीलाएं नहीं की हैं प्रभु, जितनी अमृत काल में उनकी लीलाएं चल रही हैं।
राम – अच्छा किया हनुमान तुमने बताकर। आज ही लक्ष्मण और भरत को इस काम मे लगाता हूँ।
हनुमान – प्रभु! कुछ ले देकर काम हो तो करवा लें अन्यथा आपको मणिपुर भेज दिया जाएगा।


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