(बिहार के दो बार मुख्यमंत्री रहे सोशलिस्ट नेता कर्पूरी ठाकुर का यह जन्म शताब्दी वर्ष है। इसके मद्देनजर 2 सितंबर को नयी दिल्ली में कांस्टीट्यूशन क्लब में एक बड़ा समारोह आयोजित है। फिर और कार्यक्रम भी होंगे। कर्पूरी जी सादगी की मिसाल थे। राजनीति में आम आदमी के प्रतीक। उनकी सादगी और साधारण रहन-सहन के ढेरों किस्से और संस्मरण हैं। ऐसा ही एक प्रसंग बता रहे हैं प्रोफेसर राजकुमार जैन।)
सन 1971 में पुणे के रेलवे स्टेशन पर बेटा बाप से शिकायत कर रहा था, “मुझे गरम कोट कब दिलवाओगे, मेरा कोट फटा हुआ है, थेकली लगी हुई है।” बाप कह रहा था, “दिलवा देंगे, दिलवा देंगे, पुराना ही सही पहन तो रहे ही हो।” बेटा फिर कहता है कि “आप हमेशा ऐसे ही टालते रहते हो।”
जी हाँ, मैं वहाँ खड़ा था, मैंने अपनी आँखों से देखा कानों से सुना।
1971 में संयुक्त सोशलिस्ट पार्टी के राष्ट्रीय अधिवेशन की समाप्ति के बाद लौटते हुए पुणे के स्टेशन पर यह बात बिहार के दो बार मुख्यमंत्री रहे कर्पूरी ठाकुर और उनके बेटे रामनाथ ठाकुर में हो रही थी। रामनाथ ठाकुर आजकल राज्यसभा के सदस्य हैं।
2 सितंबर शनिवार को झोंपड़ी के लाल, सोशलिस्टों के सिरमौर कर्पूरी ठाकुर के जन्म शताब्दी समारोह में ऐसी हैरतअंगेज दास्तानें, जिसकी कल्पना आज की सियासत में की ही नहीं जा सकती, सुनने को मिलेंगी। आइए, आपका स्वागत है।
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