— राजेंद्र राजन —
वे तुम्हारे खेतों में
अपने मुनाफे की फसल उगाना चाहते हैं
वे तुम्हारी मेहनत को लूटना चाहते हैं
वे तुम्हारे हाथों को बंधक बनाना चाहते हैं
वे तुम्हारे दिमागों को गुलाम बनाना चाहते हैं
ताकि तुम उनके हर निर्णय को
बिना सोचे-विचारे कबूल कर लो
वे तुम्हें ऐसी अंधभक्ति सिखाना चाहते हैं
कि वे चाहे जितने गुनाह करें
चाहे जितनी साजिशें रचें
तुम उनकी जय-जयकार करो
लोकतंत्र के मलबे पर खड़ा यह नया निजाम है
जिसने सच और झूठ के फर्क को मिटा दिया है
जिसने लफ़्ज़ों के मायने बदल दिए हैं
तुम्हारी राह में कांटे बिछा कर
कहा जा रहा है कि तुम्हारी राह
पहले से आसान हो गई है
तुम्हें हर तरफ से घेर कर
कहा जा रहा है कि तुम्हारे पास
अब ज्यादा अवसर, ज्यादा विकल्प हैं
तुम्हारे हाथ में एक धोखा थमा कर
कहा जा रहा है लो
यह रही तुम्हारी सौगात
बिगाड़ को वे कह रहे हैं सुधार
दुर्दिन को वे कह रहे हैं अच्छे दिन
दुष्प्रचार और दमन हैं उनके हथियार
यह ऐसा निजाम है
जो गरीबों पर रोज गुर्राता है
पर थैलीशाहों के आगे दुम हिलाता है
इस निजाम से लड़ना आसान नहीं
पर इससे जरूरी कोई काम नहीं!
Discover more from समता मार्ग
Subscribe to get the latest posts sent to your email.