केयूर पाठक की कविता

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मित्र

मैंने 

आग्रह किया अपने मित्रों से,

मत मिलना कुछ दिन 

मैं सत्य की राह में 

संघर्ष में हूँ,

हो सकता है तुम्हारा नुकसान

मुझसे मिलने का,

मेरे शत्रु कर 

सकते हैं आघात तुमपर,

घायल 

तुम भी हो सकते हो इसमें,

मत मिलना कुछ दिन 

मैं सत्य की राह में 

संघर्ष में हूँ.  

हम मित्र हैं

और रहेंगे सदा,

हमने उनसे वादा किया, 

हम फिर मिलेंगे 

इस संघर्ष के बाद.

वे मेरे मित्र थे

वे मेरे सच्चे मित्र थे 

उन्होंने 

सहज ही स्वीकार कर लिया 

हमारे इस प्रस्ताव को

वादा किया उन्होंने हमसे 

हम फिर मिलेंगे तुमसे 

तुम्हारे संघर्षों के बाद. 


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